हिन्दी की बिंदी में शान

हिन्दी की बिंदी में शान

हिन्दी भाषा की बिंदी  में शान।
तिरंगे के गौरव गाथा की आन।।
राजभाषा का ये पाती सम्मान।
राष्ट्रभाषा से मेरा भारत महान ।।


संस्कृत के मस्तक पर चमके।
सिंधी,पंजाबी चुनरी में दमके।।
बांग्ला,कोंकणी संग में थिरके।
राजस्थानी चूड़ियों में खनके ।।


लिपि देवनागरी रखती ध्यान।
स्वर व्यंजन में है इसकी शान।।
मात्राओं का हमें कराती ज्ञान।
शब्द भंडार है अनमोल खान।।

हिन्दी से राष्ट्र का नव निर्माण।
जन- जन का करती कल्याण।।
दुनिया में भारत की  पहचान।
हिंदी से होगा जग का उत्थान।।


कबीर, मीरा, तुलसी, रसखान।
सबने गाया हिन्दी का गुणगान।।
‘रिखब’ करता शारदे का ध्यान ।
पाता निशदिन अनुपम वरदान ।।


©रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’
‘जयपुर

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