हिन्दी कविता: सीसीई (सतत् व्यापक मूल्यांकन) – मनीभाई नवरत्न

सीसीई (सतत् व्यापक मूल्यांकन) – मनीभाई नवरत्न

सीसीई को बना लो , साथियों अपनी दिनचर्या ।
तभी तो साकार होगी अपनी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या।
अब नहीं परीक्षा का भय, नहीं है रटने पर जोर।
मार्ग खुला सृजन, चिंतन, निर्णय,तर्क की ओर।
तीन घंटे में भाग्य फैसला, लगता था अन्याय ।
प्रश्न पत्र के एक सांचे में , प्रतिभा ढलने ना पाय।
अब बच्चों को सीखने को,मिले समुचित अवसर।
शिक्षक जानेगा कौन मंदबुद्धि और कौन है प्रखर?
मूल्यांकन हो गई है और व्यापक और लगातार।
अब यही बनेगी समाज के नव निर्माण का आधार।
जिम्मेदारी बढ़ी, बदलना होगा आज नहीं तो कल।
हर छात्र का स्तर की खबर ,जाननी होगी पल पल।
निरंतर सुधार होगा , बच्चों के सतत आकलन से ।
रही सही समझ भी पूरी हो जाएगी , पुनर्बलन से ।
जानेंगे रचनात्मक आकलन से ,सीखने की प्रगति ।
योगात्मक, उपचारात्मक के बाद होगी कक्षोन्नति।
गलत प्रतिस्पर्धा रोकने हेतु आई है ग्रेडिंग प्रणाली।
बाल निहित कौशल परखेगी,अब हमारी प्रश्नावली ।
गीत कहानी अभिनय से, जाने सहशैक्षिक गुण को ।
स्व मूल्यांकन से झलके ,व्यक्तिगत सामाजिक गुण को।
परीक्षा से होती थी बच्चों में , पढ़ाई का तनाव ।
अब शिक्षक जानेगा गतिविधि से ,सीखने का भाव ।
खुलीपुस्तक पोर्टफोलियो से खुशबू फैलेगी ज्ञान की।
सर्वे प्रोजेक्ट,प्रदत्त कार्य से समझ बनेगी विज्ञान की।
अब होगी शाला में, होगी चमत्कार पर चमत्कार।
लागू है जब निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।

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