Category: हिंदी कविता

  • मोहन सबका प्यारा है

    मोहन सबका प्यारा है

    महात्मा गाँधी
    महात्मा गाँधी


                  (1)
    पुतलीबाई ने जन्म दिया ,
    करमचंद ने पाला था ।
    सीधा-साधा,भोला-भाला,
    मोहन सबका प्यारा था।
                (2)
    बिन हथियार लड़े थे ओ,
    सत्य अहिंसा के पुजारी ।
    सरल स्वाभाव के धनी ओ,
    जिसे  दुनिया माने सारी।।
                (3)
    सच्चाई को जिसने चुना,
    प्रेम को जो अपनाया। 
    छूआछूत को दूर करके,
    मिलकर रहना सिखाया।।
                (4)
    खादी वस्त्र पहनकर जिसने,
    स्वच्छ जीवन बिताया ।
    स्वदेशी अपनाओ कहकर,
    विदेशी वस्त्र जलाया।।
                 (5)
    सत्य मार्ग पर चलना,
    बापू ने हमे सिखाया।
    अमर हुआ नाम जिनका,

    राष्टपिता कहलाया ।।

    रचनाकार – डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
    मिडिल स्कूल पुरुषोत्तमपुर,बसना
    जिला महासमुंद (छ.ग.)
    मो. 8120587822
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  • मेरे आंगन में – दिनेश चंद्र प्रसाद “दीनेश”

    “मेरे आंगन में “

    मेरे आंगन में
    कविता बहार

    होठ तेरे जैसे,
      दो कुसुम खिले;
    यौवन के कानन में ।
    आंखें तेरी जैसी,
     दो झील हैं गहरी;
    रूप के मधुबन में ।
    गाल हैं तेरे चिकने जैसे,
    दो नव किसलय;
           निकले उपवन में।
    बिंदिया की चमक है जैसे,
     इंदु हँसे;
    नील गगन में।
    केश तेरे लहराए जैसे,
     घनघोर घटाएं;
    झूम के आये सावन में।
    दुल्हन बनकर बोलो,
       कब आयेगी तू
      मेरे आंगन में।

    दिनेश चंद्र प्रसाद “दीनेश”

    DC-119/4   , स्ट्रीट न.310

    न्यू टाऊन ,कोलकाता-700156

    Email-dcprassd1959@gmail 

    .com

    मोबाइल 9434758093

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  • बाल कविता – स्लेट बत्ती

    स्लेट बत्ती
    बाल कविता

    बाल कविता – स्लेट बत्ती

    स्लेट बत्ती का  जानो मोल
    लकीर बना लो या फिर गोल

    क ख ग घ लिखना हो या गिनती
    पढ़ने को सब करते विनती

    बत्ती को घिस घिस कर देखें
    टूटे जब जब उसको फेंके

    पानी को हाथों में लेते
    गलत लिखते ही मिटा देते

    स्लेट बत्ती से हो शुरुवात
    लिखते पढ़ते रहें दिन रात


    राजकिशोर धिरही
    तिलई,जांजगीर

  • मेला पर दोहे -नवीन कुमार तिवारी

    मेला पर दोहे

    मेला देखो घूमके,कितना रहता भीड़ ।

    मानस रहते झूमते ,किसका कैसा नीड़ ।।1

    खुले हाट बाजार में , बेच रहे सामान ।

    साज बजे भोंपू सुने , बैठ  कहे श्रीमान ।।2

    जमघट देखे  भागते ,उड़ने लगे गुबार ।

    मीठा खारा खा रहे , मिलता खोया प्यार  ।।3

    मेला ठेला घूमते , कटता किसका जेब  ।

    मोहक नारी मचलती , बजते अब पाजेब ।।4

    चूड़ी बिंदी देखते , सोचे नारी जात ।

    चटपट झूले बैठती, मिलते ही ये सौगात ।।5

    पूड़ी सब्जी छानते , बनते जो पकवान ।

    सट्टा बाजी हो रही ,कर गये सावधान ।।6

    नवीन कुमार तिवारी

  • तेरा आशिर्वाद रहे सदा माँ हमारी कलम पर-डा.नीलम

    तेरा आशिर्वाद रहे सदा माँ हमारी कलम पर

    लेकर बैठी कलम हाथ में
    लिखने मैया के गुणगान
    अद्भुत लीला तेरी मैया
    कलम है मेरी नादान

    अपरुपा,अनुपम ,अलौकिक
    दिव्य स्वरुपा,दिव्यज्योत्सना
    ज्योतिर्मयी ,अक्षमाल्य,
    कमण्डलम धारिणी

    ब्रह्मचारिणी,तपश्चारिणी
    साक्षात ब्रह्म स्वरुपा
    तप की साक्षात मूर्तिमयी
    जगत् जननी,जग पालिका

    त्याग,वैराग्य,संयम,सदाचारदायिनी
    सर्व सिद्धि दात्रि,विजयम ददाति
    सर्वमंगलम्,सुमंगलम दायिनी

    निर्जला,निराहार तपकारणे
    शाक- पात  आहर्य कारणे
    अपर्णा नाम धारिणी
    कठोर तप के कारणे कांति
    और तेज का संगम से दमक रही

    दूध,दही,शर्करा,घृत,मधु से कर स्नान
    अक्षत,रोली,फूल,चंदन से
    कर अर्चना तांबूल,सुपारी भेंट करुँ

    कर तेरी प्रदक्षिणा बस इतनी मनुहार लिखे
    फिर भी माँ मेरी कलम
    नासमझी,नादान रही

    तेरी  कितनी कृपाएं
    हम भक्तों के साथ में
    तेरा आशिर्वाद रहे 
    सदा माँ हमारी कलम पर।

          डा.नीलम
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद