Category: हिंदी कविता

  • गोली एल्बेंडाजॉल – (मधु गुप्ता “महक”)

     

     गोली एल्बेंडाजॉल

    आओ बच्चों तुम्हें सुनाए,
                एक कहानी काम की।
    ध्यान पूर्वक सुनना इसको,
                 बात छिपी है राज की।

    स्वाति नाम की लड़की थी इक,
             पंचम मे वह पढ़ती थी।
    नंगे पाँव खेलती हरदम,
               शौच खुले में करती थी।

    बिना हाथ धोए वो हरदम,
             खाना भी खा लेती थी।
    नही सुहाता नहाना उसको,
             बात ध्यान नहीं देती थी।

    हुआ दर्द जब पेट में उसके,
            सहना मुश्किल होना था।
    रोज रोज की बीमारी से,
            स्कूल भी जाना रोना था।

     पिता वैद्य के पास ले गये,
            सारी बातें बतलाएं
    चेकअप करके पता लगाया,
          कहा पेट में कीड़े आऐ।

    एल्बेंडाजॉल की दिए दवाई,
            हर हफ्ते जो खानी है।
    चबा चबा कर भोजन खाना,
          बात  स्वाति ने मानी है।

    बोले,रहो सफाई से अब,
           तुमको रोज नहाना है।
    चप्पल पहन सदा पैरों में,
           शौचालय में जाना है।

     दस्त न होगा, न कमजोरी,
          रोज रोज  स्कूल जाओ।
    सारे दोस्तों को तुम,कहना
        गोली एल्बेंडाजॉल बताओ।

    मधु गुप्ता “महक”

     इस पोस्ट को like करें (function(d,e,s){if(d.getElementById(“likebtn_wjs”))return;a=d.createElement(e);m=d.getElementsByTagName(e)[0];a.async=1;a.id=”likebtn_wjs”;a.src=s;m.parentNode.insertBefore(a, m)})(document,”script”,”//w.likebtn.com/js/w/widget.js”);
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • समर शेष है रुको नहीं

    समर शेष है रुको नहीं

    समर शेष है रुको नहीं
    अब करो जीत की तैयारी
    आने वाले भारत की
    बाधाएँ होंगी खंडित सारी,

    राजद्रोह की बात करे जो
    उसे मसल कर रख देना
    देश भक्ति का हो मशाल जो
    उसे शीश पर धर लेना,

    रुको नहीं तुम झुको नहीं
    अब मानवता की है बारी
    सुस्त पड़े थे शीर्ष पहरुए
    जन मानस दण्डित सारी,

    कालचक्र जो दिखलाए, तुम
    उसे बदल कर रख देना
    कठिन नहीं है कोई चुनौती
    दृढ़ निश्चय तुम कर लेना,

    तोड़ो भी सारे कुचक्र तुम
    आदर्शवाद को तज देना
    नयी सुबह में नई क्रांति का
    गीत वरण तुम कर लेना ।

    राजेश पाण्डेय “अब्र”
       अम्बिकापुर

     इस पोस्ट को like करें (function(d,e,s){if(d.getElementById(“likebtn_wjs”))return;a=d.createElement(e);m=d.getElementsByTagName(e)[0];a.async=1;a.id=”likebtn_wjs”;a.src=s;m.parentNode.insertBefore(a, m)})(document,”script”,”//w.likebtn.com/js/w/widget.js”);
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • दहेज दानव

    दहेज दानव

    ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया।
    ये बदलता माहौल भी रंग दिखा  गया।।

    हर  रोज  अखबारों  में  ये   समाचार  है,
    ससुराल  जाने  से  कन्या  का इंकार  है,
    क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।।

    बिकने  को  तैयार  लड़के हर  तरह  से,
    मांगें  मोटर  कार   अड़के  हर  तरह  से,
    हर  नौजवान अपना  मोल लिखा  गया।।

    चाहिए  माल  साथ  में   कीमती  सामान,
    कूंए के मेंढक  का  बस इतना ही जहान,
    ऐसा माहौल बहू  को  नीचा  दिखा गया।।

    मोटरसाइकिल,  फ्रिज,  रंगीन  टी०  वी०,
    साथ   में  हो  नगदी   और   सुंदर   बीवी,
    सिल्ला ये विचार इंसानियत को खा गया।।

    विनोद सिल्‍ला

    771/14, गीता कॉलोनी, नज. धर्मशाला
    डांगरा रोड़, टोहाना
    जिला फतेहाबाद  (हरियाणा)
    पिन कोड 125120

     इस पोस्ट को like करें (function(d,e,s){if(d.getElementById(“likebtn_wjs”))return;a=d.createElement(e);m=d.getElementsByTagName(e)[0];a.async=1;a.id=”likebtn_wjs”;a.src=s;m.parentNode.insertBefore(a, m)})(document,”script”,”//w.likebtn.com/js/w/widget.js”);
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • पुलिस मेरे शहर की

    पुलिस मेरे शहर की

    पुलिस मेरे शहर की

    अपनी पर  आ  जाए तो
    मुर्दों से भी उगलवाती है
    जटिल से जटिल मामला
    यूं मिनटों में  निपटाती है
    पुलिस मेरे शहर की||

    सुस्ती और लापरवाही में
    कितने  मामले  दबाती है
    चाय – पानी  के  बगैर  ये
    महीनों  भर  लटकाती  है
    पुलिस मेरे शहर की||

    मामला   कुछ   और  होए
    उसे और कुछ ही बनाती है
    सीधे -साधे मामलों को भी
    बे वजह ले  दे उलझाती है
    पुलिस मेरे शहर की|\

    पैसे  वाले  के  समक्ष  तो
    ये नतमस्तक हो जाती  है
    गरीब,वंचित,असहाय को
    पीटती  और धमकाती है
    पुलिस मेरे शहर की||

    नशा माफिया और जुआरी
    पकड़  कर  नहीं  लाती  है
    आ जाए हाथ शरीफ कोई
    क्या – क्या धारा लगाती है
    पुलिस मेरे शहर की||

    विनोद सिल्‍ला

    771/14, गीता कॉलोनी, नज. धर्मशाला
    डांगरा रोड़, टोहाना
    जिला फतेहाबाद  (हरियाणा)
    पिन कोड 125120

     इस पोस्ट को like करें (function(d,e,s){if(d.getElementById(“likebtn_wjs”))return;a=d.createElement(e);m=d.getElementsByTagName(e)[0];a.async=1;a.id=”likebtn_wjs”;a.src=s;m.parentNode.insertBefore(a, m)})(document,”script”,”//w.likebtn.com/js/w/widget.js”);
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • नहीं लेता सीख इंसान इनसे जाने क्‍यों?

    नहीं लेता सीख इंसान इनसे जाने क्‍यों?

    एक क्‍यारी में
    अनेक हैं पेड़-पौधे
    अलग-अलग हैं
    जिनकी नस्‍ल
    अलग-अलग हैं गुण
    अलग-अलग हैं रंग-रूप
    फिर भी
    नहीं करते नफरत
    एक-दूसरे से
    नहीं है इनमें
    भेदभाव की भावना
    नहीं मानते किसी को
    छोटा या बड़ा
    नहीं है इनमें रंग-भेद

    हवा की धुन पर
    थिरकते हैं सब
    एक लय में
    एक ताल में
    खिल जाते हैं
    सबके चेहरे
    बरसात में
    कितना है सदभाव
    नहीं लेता सीख
    इंसान इनसे
    जाने क्‍यों?

    -विनोद सिल्‍ला©
    771/14, गीता कॉलोनी, नज. धर्मशाला
    डांगरा रोड़, टोहाना
    जिला फतेहाबाद  (हरियाणा)

    पिन कोड 125120

     इस पोस्ट को like करें (function(d,e,s){if(d.getElementById(“likebtn_wjs”))return;a=d.createElement(e);m=d.getElementsByTagName(e)[0];a.async=1;a.id=”likebtn_wjs”;a.src=s;m.parentNode.insertBefore(a, m)})(document,”script”,”//w.likebtn.com/js/w/widget.js”);
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद