गोली एल्बेंडाजॉल
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए,
एक कहानी काम की।
ध्यान पूर्वक सुनना इसको,
बात छिपी है राज की।
स्वाति नाम की लड़की थी इक,
पंचम मे वह पढ़ती थी।
नंगे पाँव खेलती हरदम,
शौच खुले में करती थी।
बिना हाथ धोए वो हरदम,
खाना भी खा लेती थी।
नही सुहाता नहाना उसको,
बात ध्यान नहीं देती थी।
हुआ दर्द जब पेट में उसके,
सहना मुश्किल होना था।
रोज रोज की बीमारी से,
स्कूल भी जाना रोना था।
पिता वैद्य के पास ले गये,
सारी बातें बतलाएं
चेकअप करके पता लगाया,
कहा पेट में कीड़े आऐ।
एल्बेंडाजॉल की दिए दवाई,
हर हफ्ते जो खानी है।
चबा चबा कर भोजन खाना,
बात स्वाति ने मानी है।
बोले,रहो सफाई से अब,
तुमको रोज नहाना है।
चप्पल पहन सदा पैरों में,
शौचालय में जाना है।
दस्त न होगा, न कमजोरी,
रोज रोज स्कूल जाओ।
सारे दोस्तों को तुम,कहना
गोली एल्बेंडाजॉल बताओ।
मधु गुप्ता “महक”
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