हूँ तन से दिव्यांग मन से नहीं-(विश्व दिव्यांग दिवस विशेष)

एक दिव्यांग अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बल्कि आत्म बल साहस बना सबको एक नई दिशा देता है और नित आगे बढ़ता है

हूँ तन से दिव्यांग मन से नहीं

०३ दिसम्बर विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष

विश्व विकलांगता दिवस || World Disability Day .j
विश्व विकलांगता दिवस || World Disability Day

क्या हुआ मेरे पाँव नहीं ,
पर ऊँची उड़ान भरने हौसला है बुलंद।
चढ़ जाता हूँ एवरेस्ट की चोटी में,
आत्म बल से पार करते हुए राह दुर्गम।
कर्म से लिखता हूँ मैं जीवन की कहानी,
कभी किसी पर बनता मैं बोझ नहीं।
हूँ तन से दिव्यांग पर मन से नहीं।

मायूस कभी मुझे होना नहीं,
बनाना होगा स्वयं अपना तकदीर।
लोगों के उलाहने ताने पीछे छोड़,
इतिहास बनाना है मुझे बनकर कर्मवीर।
आगे बढ़ना है दुनिया की सोच बदलने,
कोई मुझे बोझ समझे यह स्वीकार नहीं।
हूँ तन से दिव्यांग पर मन से नहीं।

पद्मा साहू “पर्वणी”
खैरागढ़ राजनांदगांव छत्तीसगढ़


(एक दिव्यांग अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बल्कि आत्म बल साहस बना सबको एक नई दिशा देता है और नित आगे बढ़ता है)

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