जब मैं तनहा रहता हूँ

जब मैं तनहा रहता हूँ
मनीभाई नवरत्न

जब मैं तनहा रहता हूँ

जब मैं तनहा रहता हूँ।
खुद से बातें करता हूँ ।
सुख की,दुख की ।
छांव की, धुप की ।
गलतियों पर सीख लेता हूँ ।
कसम खाता हूँ आगे से,
इन्हें ना दुहराने की ।
जीत पर बधाई देता हूँ ।
उत्साह बढ़ाता हूँ,
नित आगे बढ़ने की ।
कारनामे गढ़ने की ।
मुश्किलों से लड़ने की ।
एक तारा आसमाँ में जड़ने की ।
कभी जो वायदे किए जिन्दगी से,
उन्हें निभाता हूँ ।
धीमी चाल तेज करता हूँ ।
चलते चलते फिर कहीं खो जाता हूँ ।
हृदय की उर्वरा भू पर,
स्वप्नों के बीज बोता हूँ ।
उसे हकीकत होता सोच
मुस्कुराता हूँ ।
हाँ बड़ा अच्छा लगता है मुझे,
जब मैं तनहा रहता हूँ ।

मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

Leave a Reply