जीवन की डगर

जीवन की डगर

कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
जीवन की डगर पर साथ चले।
लक्ष्य को पाना है एक दिन,
निशदिन समय के साथ चलें।
सुख दु:ख के हम सब साथी,
अपनत्व प्यार बाँटते चलें।
अटल विश्वास हमारा मन में,
मंज़िल की ओर हम बढ़ चलें।
हिम्मत,परिश्रम और लगन से,
अनेक बाधाओं के पार चलें।
मोह माया के इस भँवर जाल से,
भक्ति की नैया से भव तर चलें।
नफरत की अजब इस दुनिया में,
सद्भाव के नए तराने गाते चलें।
प्रत्येक राहगीर के मन मंदिर में,
दिव्य ज्ञान के दीप जलाते चलें।
पथ में मिल जाए गर दीन-दुखी,
‘रिखब’सबको गले लगाते चलें।
कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
जीवन की डगर पर साथ चलें।
® रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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