जय गुरुदेव

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले।

डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

जय गुरुदेव


भटके राही को भी जो सीरत दे।
बिगड़े सूरत को खूबसूरत कर दे।
शिक्षक वह महान शिल्पकार है।
जो अनगढ़ मिट्टी को सुन्दर मूरत दे।1।


वचन मधुर,जीवन धन्य करे उजियार।
केवल आगे बढ़ना सीखाये,न माने हार।
कोयला को कोहिनूर सा जो चमका दे।
उनके चरणों में शत शत बार नमस्कार।2।


दीपक बनकर जो मन का अंधियारा मिटाए।
सौदागर बनकर प्रगति के नित सपने दिखाए।
कलम को तलवार,किताब को ढाल बना।
हमेशा जीवन जीने की कला सिखाए।3।


भले-बुरे का ज्ञान कराकर,करे मूढ़ता दूर।
ढपली ताल में भी भर दे जो मधुर कर्णप्रिय सुर।
पद-प्रतिष्ठा-पदवी की मान-सम्मान बढ़ाने।
शंका समाधान खातिर,श्रम करे भरपूर।4।


*सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”*
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.) पिन- 493558

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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