गणेश वंदना -दूजराम साहू

गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

गणेश वंदना ( छत्तीसगढ़ी)

जय ,जय ,जय ,जय हो गनेश !
माता पारबती पिता महेश !!

Ganeshji
गणेशजी

सबले पहिली सुमिरन हे तोर ,
बिगड़े काज बना दे मोर !
अंधियारी जिनगी में,
हावे बिकट कलेश !!

बहरा के बने साथी,
अंधरा के हरस लाठी !
तोर किरपा ले कोंदा ,
फाग गाये बिशेष !!

बांझ ह महतारी बनगे ,
लंगड़ा ह पहाड़ चढ़गे !
भिख मंगईया ह,
बनगे नरेश !!

दूजराम साहू
निवास -भरदाकला (खैरागढ़)
जिला_ राजनांदगाँव (छ. ग. )

Comments

  1. पदमा साहू Avatar
    पदमा साहू

    बहुत सुंदर वंदना

  2.  Avatar
    Anonymous

    Very nice

  3.  Avatar
    Anonymous

    Very nice sir ji

  4. Bramha Prasad chandrakar Avatar
    Bramha Prasad chandrakar

    Very nice sir ji

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