कारगिल की वीर गाथा–डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

कारगिल की वीर गाथा (घनाक्षरी) – कारगिल वीर



जब भी पड़ा है वक्त,
भारती का बन भक्त।
हिन्द के वीरों ने सदा,
वीरता दिखाई हैं।
★★★★★★★★
घाव देना चाहा जब,
भारत को बैरियों ने।
तब-तब बैरियों को,
धूल भी चटाई है।
★★★★★★★★
विषम समय जब,
कारगिल में बनी तो।
साहस पौरुष शौर्य,
मन में जगाई है।
★★★★★★★
भले निज प्राण दिए,
तिरंगे को हाथ लिए।
टाईगर हिल जब,
ध्वज फहराई है।
★★★★★★★
रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)

मो. 8120587822

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