करिया बादर पर कविता
करिया करिया बादर,तै हा आना।
घटा बनके चुंदी ल छरियाना।
जम्मों जीव रद्दा तोर देखत हे।
गरमी पियास कुहका झेलत हे।
बिजली के बिंदी लगाना।
आँखी म काजर अँजाना।
करिया करिया बादर,तै हा आना।
घटा बनके चुंदी ल छरियाना।
भुँईया के छाती ह फाटगे।
पानी सुखागे हे घाट के।
झमझम ले मौसम बनाना।
सुग्घर नगाड़ा बजाना।
करिया करिया बादर,तै हा आना।
घटा बनके चुंदी ल छरियाना।
नदिया अउ नरवा सुखागे।
कुआँ अउ नल ह अटागे।
नवा बहुरिया अस लजाना।
चंदा कस मुँह ल देखाना।
करिया करिया बादर,तै हा आना।
घटा बनके चुंदी ल छरियाना।
रुख राई कल्पत हे देख ले।
जीव जंतु तड़फत हे देख ले।
अमृत के धार ल बोहाना।
गंगा मैंया हमला तै जियाना।
करिया करिया बादर,तै हा आना।
घटा बनके चुंदी ल छरियाना।
Bahut hi Achha Kavita likha hai sir Apne📝📝📝❤️❤️❤️❤️🎉🎉