नभ में छाए काले मेघ
नभ में छाए काले मेघ.
झूमती धरती इसको देख.
बिन नीर प्यासी धरा पर,
मेघ लाते आशाएं अनेक।
खेत लहराए अपनी आँचल,
बागों में आ जाती नई जान.
रंग-बिरंगी कोमल पुष्पों से,
छा जाती लबों में मुस्कान.
हरियाली और खुशहाली,
अब सुखहाली भी आएगी.
बरसों से संजोया सपना ,
वो भी अब पूरी हो जाएगी.
आज तपी सूखी मिट्टी पर,
गिरे पानी लेके काली की भेष.
बिजली जिसका आगमन संदेश.
देर न करो अब, हे देव अमरेश!
नभ में छाए काले मेघ.
संगीता