नई सदी का बचपन
न मिट्टी के खिलौनें,
न वो पारम्परिक खेल।
जहाँ पकड़म-पकड़ाई, छुपम-छुपाई
चोर-सिपाही, बच्चों की रेल।
अब न दादी के हाथ का मक्खन
न नानी का वो दही-रोटा,
राजा-रानी की कहानियाँ
जो सुनाती थी दादी-नानी
अब बन कर रह गई
एक कहानी।
स्कूल से सीधा पीपल पर जाना
घंटो खेल खेलना और बतियाना
मित्र मण्डली सँग घूमना
वो बारिश में नहाना
वो बच्चों का बचपन
और बचपन की मस्ती
न जाने कहाँ खो गई
विज्ञान की इस नई सदी में
शायद मोबाइल और कंप्यूटर
के भेंट चढ़ गई।
बलबीर सिंह वर्मा “वागीश”
गॉंव – रिसालियाखेड़ा
जिला – सिरसा (हरियाणा)