नारी पर दोहे
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नारी की यशगान हो ,नारी की ही रूप ।
नारी के सहयोग से,मिलते लक्ष्य अनुप।।
नारी बिन कब पूर्ण है?एक सुखी परिवार।
नारी जो सुरभित रहे, सुखी रहे संसार।।
जग में जो करता नहीं , नारी का सम्मान।
कहलाये वह क्यो मनुज ,वह है पशु समान।।
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रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”