नारी तू ही शक्ति है
नारी तू कमजोर नहीं, तुझमें अलोकिक शक्ति है,
भूमण्डल पर तुमसे ही, जीवों की होती उत्पत्ति है।
प्रकृति की अनमोल मूरत, तू देवी जैसी लगती है,
परिवार तुझी से है नारी, तू दिलमें ममता रखती है।।
म से “ममता”, हि से “हिम्मत” ला से तू “लावा” है,
महिला का इतिहास भी, हिम्मत बढ़ाने वाला है।
ठान ले तो पर्वत हिला दे, विश्वास नहीं ये दावा है,
हिम्मत करे तो दरिंदों की, जान का भी लाला है।।
याद कर अहिल्याबाई, रानी दुर्गावती भी नारी थी,
दुश्मन को छकाने वाली, लक्ष्मी बाई भी नारी थी।
शीशकाट भिजवाने वाली, हाड़ीरानी भी नारी थी,
सरोजिनी नायडू, रानी रुद्रम्मा देवी भी नारी थी।।
वहशी हैवानों की नजरों में, रिश्ते ना कोई नाते है,
मां, बहन, बेटियों से भी, विश्वासघात कर जाते हैं।
मौका मिले तो वहशी गिद्ध नोच नोच खा जाते हैं,
सबूत के अभाव में दरिंदे, सज़ा से भी बच जाते हैं।।
तू ही काली, तू ही दुर्गा, तू ही मां जगदम्बा है,
खड़्ग उठाले उस पर तू, जो मानवता ही खोता है।
निर्बल समझे जो तुझको, पालता मन में धोखा है,
सबक सिखादे वहशियों को, समझते जो “मौक़ा” है।।
आम आदमी समीक्षा और चर्चा कर दूर हो जाते हैं,
पीड़ित नारी “अपनी नहीं”, इसी से संतुष्ट हो जाते हैं।
घटना घटने के बाद बहना, सब सहानुभूति जताते हैं,
जिम्मेदार, संभ्रांत व्यक्तियों के, वक्तव्य छप जाते हैं।
अब नारी तू ही हिम्मत करले, शक्तियों को जगाले तू,
अपने मुंह को ढकने वाले, पल्लू को कफ़न बनाले तू।
इज्ज़त पे जो भी हाथ डाले, उसी को सबक सिखादे तू,
आंखों से खूनी आंसू पोंछ, गुस्से को हथियार बनाले तू।
nari ki shakti yaad dilane wali aapki rachna bahut shandaar h saxena g
bahut khoob
VAAH RAKESH G VERY NICE
VERY NICE BOSS
nari ki shakti pr bahut rachna