पांच दिन बर आये देवारी
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माटी के सब दीया बारबो
एसो के देवारी म।
जुरमील सब खुशी मनाबो
एसो के देवारी म।।
पांच दिन बर आये देवारी
अपार खुशी लाये हे ।
घट के भीतर रखो उजियारा
सब ल पाठ पढ़ाये हे।
ईर्ष्या, द्वेष सब बैर भगाबो
एसो के देवारी म।।
जुआ, तास, नशा ,पान
घर बर ये नरकासुर हे ।
बचत के सब आदत डालो
यही जिनगी के बने गून हे।
भुरभूंगीया पन छोड़ो सब
एसो के देवारी म।।
धन-लक्ष्मी, महा-लक्ष्मी
नारी ल सब मानो जी।
कोई दू:शासन न सारी खिचे
ईही ल भाई दूज जानो जी।
नारी सम्मान के ले प्रतिज्ञा
एसो के देवारी म।।
गाय दूध, गोबर सिलिहारी
पूजा बर कहा ले पाहू जी।
पर्यावरण, गाय नई बचाहू त
जीवन भर पछताहू जी।
एक पेड़ सब झन पालो
एसो के देवारी म।।
संस्कृति ले सीख मिलथे
जीनगी के कला सीखाथे जी।
मया – प्रेम -प्रीति बढ़ाथे
बिछड़े ल मिलाते जी।
फेशन में घलो संस्कृति बचाबो
एसो के देवारी म।।
दूजराम साहू
निवास -भरदाकला
तहसील- खैरागढ़
जिला- राजनांदगांव (छ .ग.)
8103353799