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  • आस टूट गई और दिल बिखर गया

    आस टूट गई और दिल बिखर गया


    आस टूट गयी और दिल बिखर गया।
    शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया।

    उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,
    दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया।

    आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,
    वो इतना कांपा फिर दिल डर गया।

    वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी,
    गजरा लेकर जब उसके मैं घर गया।

    दिल- ए- जज़्बात मेरे सारे ठर गये,
    जब मौसम भी फेरबदल कर गया।

    एक मंज़र देखा ऐसा कि परिंदें रो पड़े,
    जहां एक शजर कट कर मर गया।

    *सुधीर कुमार*

  • आस टूट गयी और दिल बिखर गया

    ग़ज़ल*
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    आस टूट गयी और दिल बिखर गया।
    शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया।

    उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,
    दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया।

    आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,
    वो इतना कांपा फिर दिल डर गया।

    वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी,
    गजरा लेकर जब उसके मैं घर गया।

    दिल- ए- जज़्बात मेरे सारे ठर गये,
    जब मौसम भी फेरबदल कर गया।

    एक मंज़र देखा ऐसा कि परिंदें रो पड़े,
    जहां एक शजर कट कर मर गया।

    *सुधीर कुमार*

  • राम नारायण हरि-अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    राम नारायण हरि

    राम नारायण हरि-अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    राम नारायण हरि, श्री कृष्ण नारायण हरि
    शिव नारायण हरि, गोविंद नारायण हरि

    मातृ नारायण हरि, श्री पितृ नारायण हरि
    कुल देव नारायण हरि, स्थान देव नारायण हरि

    श्याम नारायण हरि, श्री राधे नारायण हरि
    ग्वालों के नारायण हरि, वृंदावन के नारायण हरि

    हरिद्वार के नारायण हरि, गौओं के नारायण हरि
    जगन्नाथ नारायण हरि, बाल गोपाल नारायण हरि

    मेरे नारायण हरि, सबके नारायण हरि
    जीवन का सार नारायण हरि, मोक्ष का द्वार नारायण हरि

    राम नारायण हरि, श्री कृष्ण नारायण हरि
    शिव नारायण हरि, गोविंद नारायण हरि

  • खुदा ने अता की जिन्दगी -अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    खुदा ने अता की जिन्दगी

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    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    मुहब्बत के लिए

    क्यूं कर बैठा तू दूसरों से नफरत
    अपने अहम् के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    एक अदद इंसानियत के लिए

    ऊंच – नीच के बवंडर में उलझ गया तू
    ताउम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी
    आशिक़ी के लिए

    तू मुहब्बत का दुश्मन बन बैठा
    ताउम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    इबादत के लिए

    तू बहक गया धर्म के ठेकेदारों के कहने पर
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    किसी के आंसू पोंछने के लिए

    तू अपनी ही मस्ती में डूबा रहा
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    इस गुलशन को आबाद करने के लिए

    तू उजाड़ बैठा इस गुलशन को
    अपने ऐशो – आराम के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    उपवन में फूल खिलाने के लिए

    तू काँटों की सेज सजा बैठा
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    किसी जनाजे को कंधा देने के लिए

    तू उसकी मौत का गुनाहगार बन बैठा
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    मुहब्बत के लिए

    क्यूं कर बैठा तू दूसरों से नफरत
    अपने अहम् के लिए

  • रंग देहूं तोला अपन रंग मा ओ

    होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। विकिपीडिया

    holi-kavita-in-hindi
    holi-kavita-in-hindi

    रंग देहूं तोला अपन रंग मा ओ

    आजा तै रधिया बीरीज बन मा ओ
    रंग देहूं तोला अपन रंग मा ओ २
    झन तै लुकाना मधुबन मा ओ
    रंग देहूं तोला अपन रंग मा ओ २

    तोर बर लाने हावौं मया रंग ला घोर के
    झन तैह जाना राधा अइसे मोला छोड़ के
    धरे हावौं पींवरा नीला रंग अउ गुलाल ओ
    रंगबो रंगाबो दुनो़ फगुआ के हे साल ओ
    तैहर आजा हो मोरेच सन मा ओ
    रंग देहूं तोला अपन रंग मा ओ २

    चंदा अउ सुरूज घलो हमरेच संग हे
    धरती अगास जइसे रंगे एके रंग हे
    डोंगरी पहाड़ी रुखवा फगुवा राग गावय
    कोयली हा कुहकी मारय पुरवा लहरावय
    हिरदे के भीतरी मा छागे हे उमंग ओ
    रंग देहूं तोला अपन रंग मा ओ२

    माते हावय नर नारी सुमत रंग चढ़ाके
    अमर होगे तोषण हा होरी गीत ला गाके
    तोर मोर पीरीत ला जन जन हा गावय
    रही दुनिया मा अमर गीत गोहरावय
    नाचबो नचाबो गाबो एक धुन मा ओ
    रंग देबो सबला अपन रंग मा ओ २

    गीतकार
    तोषण चुरेन्द्र ” दिनकर “
    धनगांव डौंडीलोहारा
    बालोद छत्तीसगढ़