रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी। -विनोद सिल्ला Post Views: 83

दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा

दिल एक मंदिर मंदिरों में, अगर, भगवान रहा होताहर कोई भक्त, बहुत धनवान, रहा होता! गरीबी में, जिंदगी, यूँ नहीं गुजरती,मजे में, हर कोई इन्सान ,रहा होता! सच्चाई की, न उड़ती ,यूँ धज्जियां,झूठ से, न कोई भी, परेशान रहा होता!…

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’

छत्तीसगढ़ कविता

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’ छेरिक छेरा छेर मरकनिन छेरछेरामाई कोठी के धान ल हेर हेरा. आगे पुस पुन्नी जेखर रिहिस हे बड़ अगोराअन्नदान के हवै तिहार,करे हन संगी जोरा…छेरछेराय बर हम सब जाबोधर के लाबो जी भर के बोरा…..! आजा…

गणतंत्र दिवस अमर रहे / डॉ मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘

Happy Republic day

गणतंत्र दिवस अमर रहे,सब के मुख में नारा है।मातृभूमि पर शीश नवा लें,हिंदुस्तान हमारा है।। धरती से अंबर है पुलकित, वीरों के योगदान से। कदम-कदम पर हुए न्यौछावर, अपने शौर्य अभिमान से।। हुआ लागू संविधान जब,स्वप्न हुआ साकार है।महापुरुषों के…

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे

छत्तीसगढ़ कविता

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे नोहर होगे बटकी मा बासीबारा में राहय नुन।तिवरा के बटकर, बेलि नारके राहय सुघ्घर मुंग।। तिवरा नि बाचिस संगीगरवा के चरई मा।नेवता हावय तुमन लामोर गांव के मड़ई मा।। घातेच सुघ्घर लागथेमोर गांव के…

तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा

तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा रंग बिरंगी तितली रानीआई हमरे द्वार मधुलिका ने उसको देखा,उमड़ पड़ा था प्यार!गोंदा के कुछ फूल बिछाकर,स्वागत किया सुहाना,तितली रानी, तितली रानी! मधुर कंठ से गाना!तेरा मेरा नाता तो है,बरसों कई पुराना!आई…

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे बुलाते हैं शिक्षक पालक कोपर आते नहीं है लोग।पालक बालक जागरूक होशिक्षक को लगाते दोष।‌अनुशासन की पाठ कहें तोकुछ शिक्षक नही निर्दोष।गेहूं के संग है कुछ घुन पीसेशिक्षक गरिमा हो दोस्त।। शिक्षा…

चमकते सितारे/ आशीष कुमार

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चमकते सितारे नन्हे नन्हे और प्यारे प्यारेआसमान में चमकते सितारेदेखा दूर धरती की गोद सेलगता पलक झपकाते सारे ऊपर कहीं कोई बस्ती तो नहींजहाँ के चिराग दिखाएँ नजारेउड़ा ले गया कोई जुगनुओं कोआकाशगंगा सा टिमटिमाते सारे जला आया कोई दीपक…

काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

काम पर कविता लाख निकाले दोष, काम होगा यह उनका।उन पर कर न विचार, पाल मत खटका मन का।करना है जो काम, बेझिझक करते चलना।टाँग खींचते लोग, किन्तु राही मत रुकना।कुत्ते सारे भौंकते, हाथी रहता मस्त है।अपने मन की जो…

बसंत ऋतु / राजकुमार मसखरे

बसंत ऋतु

राजा बसंत / राजकुमार मसखरे आ…जा आ…जाओ,हे ! ऋतुराज बसन्त,अभिनंदन करते हैं तेरा, अनन्त अनन्त ! मचलते,इतराते,बड़ी खूबसूरत हो आगाज़,आओ जलवा बिखेरो,मेरे मितवा,हमराज़ ! देखो अब ये सर्दियाँ, ठिठुरन तो जाने लगी,यह सुहाना मौसम, सभी को है भाने लगी !…

वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘

बसंत ऋतु

वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘ आया वसंत आज, भव्य ऋतु मन हर्षाए। खिले पुष्प चहुँ ओर, देख खग भी मुस्काए।। मोहक लगे वसंत, हवा का झोंका लाया। मादक अनुपम गंध, धरा में है बिखराया।। आम्र बौर…

चार के चरचा/ डा.विजय कन्नौजे

चार के चरचा*****4*** चार दिन के जिनगी संगीचार दिन के‌ हवे जवानीचारेच दिन तपबे संगीफेर नि चलय मनमानी। चारेच दिन के धन दौलतचारेच दिन के कठौता।चारेच दिन तप ले बाबूफेर नइ मिलय मौका।। चार भागित चार,होथे बराबर गण सुन।चार दिन…