जलती धरती/शिव शंकर पाण्डेय

जलती धरती/शिव शंकर पाण्डेय न आग के अंगार से न सूरज के ताप से।।धरा जल रही है, पाखंडियों के पाप से।।सृष्टि वृष्टि जल जीवन सूरज।नार नदी वन पर्वत सूरज।।सूरज आशा सूरज श्वांसा।सूर्य बिना सब खत्म तमाशा।सूर्य रश्मि से सिंचित भू…

हिंदी कविता संग्रह

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जलती धरती/शिव शंकर पाण्डेय न आग के अंगार से न सूरज के ताप से।।धरा जल रही है, पाखंडियों के पाप से।।सृष्टि वृष्टि जल जीवन सूरज।नार नदी वन पर्वत सूरज।।सूरज आशा सूरज श्वांसा।सूर्य बिना सब खत्म तमाशा।सूर्य रश्मि से सिंचित भू…

धरती माता राजेश तिवारी धरती मेरी माँ है इसको स्वस्थ और स्वच्छ बनायें ।आओ इसकी रक्षा और सुरक्षा का दायित्व उठायें ।।………………………………………………………. अवैध और अनैतिकता से इसका खनन जो करते ।सोचो इसको दिये घाव जो कहो वो कैसे भरते…

जलती धरती/नीरज अग्रवाल पर्यावरण और वन उपवन हैं।जल थल जंगल हमारे जीवन हैं।जलती धरती बढ़ता तापमान हैं।मानव जीवन में आज संकट हैं।हम सभी को सहयोग जो करना हैं।जलती धरती तपता सूरज कहता हैं।वसुंधरा को हरा भरा हमको करना हैं।मानव जीवन…

जलती धरती/नीरज अग्रवाल सच तो यही जिंदगी कुदरत हैं।जलती धरती आकाश गगन हैं।हम सभी की सोच समझ हैं।हां जलती धरती सूरज संग हैं।खेल हमारे मन भावों में रहते हैं।जलती धरतीं मानव जीवन हैं।हमारे मन भावों में प्रकृति बसी हैं।सच और…

वृक्ष लगाएं धरती बचाये/नीलम त्यागी ‘नील’ आओ मिलकर पेड़ लगाएं…इस धरा को वसुंधरा बनाये…एक वन हम ऐसा सजाये…जिससे सारे रोग कट जाएं… प्रदूषण को ऐसी मार लगाएं…आओ एक वृक्ष सभी लगाएं…एक एक करके सभी उपवन बनाये…मानव से ज्यादा हम वृक्ष…

जलती धरती/ रितु झा वत्स विशुद्ध वातावारण हर ओरमची त्रास जलती धरती धूमिल आकाश पेड़ पौधे की क्षति होरही दिन रात धरती की तपिश कर रही पुकार ना जानेकब बरसेगी शीतल बयार प्लास्टिक की उपयोग हो रही लगातार दूषित हो रही…

ईश्वर की दी धरोहर हम जला रहे हैं/मनोज कुमार ईश्वर की दी हुई धरोहर हम जला रहे हैंलगा के आग पर्यावरण दूषित कर रहे हैंकाटे जा रहे हैं पेड़ जंगलों के,सुखा के इन्सान खुश हो रहा हैआते – जाते मौसम…

दिवस पर्यावरण मना रहे हैं/मंजूषा दुग्गल जलाकर पेड़-पौधे वीरान धरती को बना रहे हैंइतनी सुंदर सृष्टि का भयावह मंजर बना रहे हैंकाटकर जंगल पशु-पक्षियों को बेघर बना रहे हैंकर बेइंतहा अत्याचार हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं । वैज्ञानिक उन्नति…

धरती पर कविता/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे जलती धरती तपन ज्वलनक्रोधाग्नि सा ज्वाला।नशा पान में चुर हो बनते पाखंडी है मतवाला।। काट वृक्ष धरा किन्ह नगनधरती जलती , तु हो मगनवाह रे मानव,खो मानवताक्या सृष्टि का है यही लगन।। जरा…

एक आईएसबीएन नंबर प्राप्त करें यदि आप कोई किताब लिखने की योजना बना रहे हैं या पहले ही लिख चुके हैं, तो आपको उसके लिए आईएसबीएन की आवश्यकता होगी। दो परिदृश्य हैं- यदि आप चाहते हैं कि आपका प्रकाशन कविता…

शिवाजी महाराज ने 16वीं शताब्दी में डक्कन राज्यों को एक स्वतंत्र मराठा राज्य बनाया था। उन्होंने पहले हिंदू साम्राज्य की स्थापना की थी। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था. पुष्पों की सुंदर मालाएँ o आचार्य मायाराम ‘पतंग’ पुष्पों…

प्रलय / रमेश कुमार सोनी दिख ही जाता है प्रलय ज़िंदगी मेंदुर्घटना में पूरे परिवार के उजड़ जाने से,बाढ़,सूनामी,चक्रवात से औरकिसी सदस्य के घर नहीं लौटने सेप्रलय की आँखों में ऑंखें डालकरकौन कहेगा कि नहीं डरता तुझसे। आख़िरी क्षण होगा…