गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।
श्रीगणेश पर हिंदी कविता
गजानन आराधना
गजानन आओ नी इक बार …।
गजानन आओ नी इक बार ….।
निसदिन तेरी बाट में जोहूं ,
बैठूं पलक बुहार …।
गजानन आओ नी इक बार….।
धूप दीप और फल फूलों से ,
तुझ को भोग लगाऊँ ।
लगा तेरे अगर और चंदन ,
मैं श्रृंगार सजाऊँ ।
तुमसे करूं एक ही बिनती ,
दर्शन अब दे जाओ ।
गजानन आओ नी इक बार …।
गजानन आओ नी इक बार ….।
निसदिन तेरी बाट में जोहूं ,
बैठूं पलक बुहार …।
गजानन आओ नी इक बार….।
रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता ,
ज्ञान-बुद्धि के सागर ।
जीवन मेरा कोरा कागज ,
रीती पड़ी है गागर ।
बूंद-बूंद से प्यास बुझे न ,
बन के मेघ बरसाओ ।
गजानन आओ नी इक बार …।
गजानन आओ नी इक बार ….।
निसदिन तेरी बाट में जोहूं ,
बैठूं पलक बुहार …।
गजानन आओ नी इक बार….।
यह दुनिया मद में है आंधी ,
मैं मंदबुद्धि कहलाऊँ ।
ज्ञान-सरिता मुझ तक मोडों ,
मैं ‘अजस्र’ बन जाऊँ ।
रख के हाथ शीश पर मेरे ,
कृपा-आशीष बरसाओ ।
गजानन आओ नी इक बार …।
गजानन आओ नी इक बार ….।
निसदिन तेरी बाट में जोहूं ,
बैठूं पलक बुहार …।
गजानन आओ नी इक बार….।
शुभ और लाभ , रिद्धि और सिद्धि ,
विद्या-लक्ष्मी साथ ।
घर आंगन में मेरे पधारो ,
सबको लेकर आप ।
मूषक-सवार मेरे मन-मंदिर ,
आकर के बस जाओ ।
गजानन आओ नी इक बार …।
गजानन आओ नी इक बार ….।
निसदिन तेरी बाट में जोहूं ,
बैठूं पलक बुहार …।
गजानन आओ नी इक बार….।
✍✍ *डी कुमार–अजस्र (दुर्गेश मेघवाल)*
पता:- पुराना माटुदा रोड इंद्रा कॉलोनी बून्दी (राजस्थान)