खूबसूरत है मग़र बेजान है / रेखराम साहू
खूबसूरत है मग़र बेजान है खूबसूरत है मग़र बेजान है,ज़िंदगी से बुत रहा अनजान हैं। बेचता ताबीज़ है बहुरूपिया,है वही बाबा, वही शैतान है। माँगता है,शर्त रखता है कभी,‘प्यार का दावा’, अभी नादान है । रूह की कीमत बहुत नीचे गिरी,खूब मँहगा हो गया सामान है। है किशन का भक्त,इस पर शक उसे,कह रहा है,” … Read more