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फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा/ रेखराम साहू
-- फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा-- फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा।यह तमाशा देखकर फ़रियाद है रोने लगा।। पाप दामन में बहुत हैं,पर उसे परवाह कब?गंग वह…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0रेखराम साहू के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .