खूबसूरत है मग़र बेजान है / रेखराम साहू

खूबसूरत है मग़र बेजान है खूबसूरत है मग़र बेजान है,ज़िंदगी से बुत रहा अनजान हैं। बेचता ताबीज़ है बहुरूपिया,है वही बाबा, वही शैतान है। माँगता है,शर्त रखता है कभी,‘प्यार का दावा’, अभी नादान है । रूह की कीमत बहुत नीचे गिरी,खूब मँहगा हो गया सामान है। है किशन का भक्त,इस पर शक उसे,कह रहा है,” … Read more

शेष शव शिव पर कविता / रेखराम साहू

शेष शव शिव पर कविता / रेखराम साहू शेष शव,शिव से जहाँ श्रद्धा गयी सभ्यता किस मोड़ पर तू आ गयी,कालिमा तुम पर भयंकर छा गयी। लालिमा नव भोर की है लीलकर,पूर्णिमा की चाँदनी, तू खा गयी। चाट दी चौपाल तुमने ऐ चपल !एकता का तीर्थ तू ठुकरा गयी। उड़ रही आकाश में अभिमान से … Read more

प्रकृति पर दोहे/रेखराम साहू

प्रकृति पर दोहे/रेखराम साहू प्रकृतिजन्य जीवन सभी,रहे नित्य यह ज्ञान।घातक जो इनके लिए, त्याज्य सभी विज्ञान।। प्रकृति बिना जीवन नहीं,प्रकृति प्राण आधार।जीवन और प्रकृति बिना,धन-पद सब निस्सार।। जीवन पोषक हों सभी, धर्म-कर्म के कोष।धर्म-कर्म परखे बिना, दुर्लभ है संतोष।। देश-काल संदर्भ में, हितकारी व्यवहार।मानक धर्मों का यही,करे विश्व स्वीकार।। हर युग के इतिहास में, निहित … Read more

फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा/ रेखराम साहू

— फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा— फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा।यह तमाशा देखकर फ़रियाद है रोने लगा।। पाप दामन में बहुत हैं,पर उसे परवाह कब?गंग वह उल्टी बहाकर दाग़ है धोने लगा।। इस क़दर उसकी हवस है आसमां को छू रही।पाँव में पर लग गए जब वह ज़मीं खोने लगा।। वक़्त … Read more

वह नूर पहचाना नहीं/ रेखराम साहू

Hindi Poem ( KAVITA BAHAR)

वह नूर पहचाना नहीं/ रेखराम साहू क्या ख़ुदा की बात,अपने आप को जाना नहींं।साँच है महदूद,मेरी सोच तक माना नहीं ।। ज़िंदगी हँसकर,रुलाकर मौत यह समझा गईं।दुश्मनी है ना किसी से और याराना नहीं।। यह हवस की राह राहत से रही अंजान है।दौड़ना-चलना मग़र मंज़िल कभी पाना नहीं।। हाय होती है ग़रीबों की हमेशा आतिशी।राख़ … Read more