महानदी पर कविता – केवरा यदु

मोर महानदी के पानी मा – केवरा यदु चाँदी कस चमके चम चम जिंहा चंदा नाचे छम छम ।सोंढू पैरी के संगम भोले के ड़मरु  ड़म ड़म ।मोर महानदी के पानी  मा। महानदी के बीच में बइठे शिव भोला भगवान ।सरग ले देवता धामी आके करथें प्रभू गुणगान ।माता सीता बनाइस शिव भोले ला मनाइस … Read more

संतोषी महंत की नवगीत – संतोषी महंत

संतोषी महंत की नवगीत हंसकर जीवन​-अथ लिख दें या रोकर अंजाम लिखें।जीवन  की  पीड़ाओं  के औ कितने आयाम लिखें।। धाराओं ने सदा संभालातटबंधों ने रार किया।बचकर कांटों से निकले तोफूलों ने ही वार किया।।बंटवारा लिख दें किस्मत काया खुद का इल्जाम लिखें।।जीवन की पीड़ाओं के……. चौसर की छाती पर खुशियोंके जब-जब भी पांव परे।कृष्णा कहलाने … Read more

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’

हाइकु

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’ [१]मेरा एकांत सहचर-सर्जक उर्वर प्रांत! [२]दूर दिनांततरु-तल-पसरा मृदु एकांत! [३]वो एकांतघ्न वातायन-भ्रमर न रहे शांत ! [४]दिव्य-उजासशतदल कमल एकांतवास ! [५]एकांत सखाजागृत कुंडलिनी प्रसृत विभा ! *-@निमाई प्रधान’क्षितिज’*      रायगढ़,छत्तीसगढ़   मो.नं.7804048925

छत्तीसगढ़ी गीत – तेरस कैवर्त्य

छत्तीसगढ़ी गीत – झिन रोबे दाई मोर झिन रोबे दाई मोर झिन रोबे बाई मोर।रात दिन गुनत तंय ह झिन रोबे न ss अकेला ही जाहूँ , कोनो नइ जावय संग म। झुलत रही मुहरन , तोर नजरे नजर म।भुइंया म आके , झिन जीयव घमंड म।काँटा खूँटी झिन गड़व , जिन्गी डहर म।राख हो … Read more

प्यार तुम ही से करता हूँ – कृष्ण सैनी

प्यार तुम ही से करता हूँ – कृष्ण सैनी विरह को पीकर में,आज इक इंसाफ करता हु।प्यार तुम ही से करता था,प्यार तुम ही से करता हु। सोचा इत्तला कर दूं,अब भी तुझपे  ही मरता हु।प्यार तुम ही से करता था,प्यार तुम ही से करता हूँ। मेरी कोशिश थी बस इतनी,कभी बदनाम ना हो तु।की … Read more