मानव जीवन पर कविता – सुधा शर्मा

मानव जीवन मिल पाता है कभी कभी – सुधा शर्मा जीवन में ऐसा भी वक्त आता है कभी कभीकोई भीड़ में तन्हा हो जाता है कभी कभी सपनों के घरौंदे सारे बिखर जाते हैं स्मृतियों का इक महल बन जाता है कभी कभी कौन कहता है पीड़ाएं तोड़ती  हैं सदा तन्हाई में दर्द दवा बन … Read more

जीवन पर कविता – सुधा शर्मा

जीवन में रंग भरने दो – सुधा शर्मा कैसे हो जाता है मन  ऐसी क्रूरता करने को? अपना ही लहू बहा रहे जाने किस सुख वरणे को ? आधुनिक प्रवाह में बहे चाहें जीवन सुख गहे  वासनाओं के ज्वार में यूंअचेतन उमंगित रहे अंश कोख में आते हीविवश क्यों करते मरने को? अंश तुम्हारे शोणित … Read more

तू रोना सीख – निमाई प्रधान

तू रोना सीख – निमाई प्रधान तू !रोना सीख । अपनी कुंठाओं कोबहा दे…शांति की जलधि मेंअपनी महत्त्वाकांक्षाओं कोतू खोना सीख ।तू ! रोना सीख ।। कितने तुझसे रूठे ?तेरी बेरुख़ी से…कितनों के दिल टूटे ?किनके भरोसे पर खरा न उतर सका तू ?तेरे ‘मैं’ ने किनको शर्म की धूल चटा दी?कौन तेरी मौजूदगी में … Read more

बेताज बादशाह – वन्दना शर्मा

बेताज बादशाह – वन्दना शर्मा आज देखा मैंने ऐसा हरा भरा साम्राज्य…धन धान्य से भरपूर….सोना उगलते खेत खलियान…कल कल बहती नदियाँ….. चारों ओर शांति,सुख, समृद्धि…और वहीं देखा ऐसा बेताज बादशाह….जो अपने हरएक प्रजाजन को..परोस रहा था अपने हाथ से भोजन पानी.. अपने साम्राज्य के विस्तार में..हर कोने की खबर है उसको..कौन बीमार है, किसको कितनी … Read more

मुफ्त की चीज पर कविता

मुफ्त की चीज पर कविता मुफ्त की चीजों से..19.03.22———————————————हमारी आदत सी हो गई हैकि हमें सब कुछ मुफ्त में चाहिएभिखारियों की तरह हम मांगते ही रहते हैंराशन पानी बिजली कपड़ा मकान रोजगार मोबाइल और मुफ्त का वाईफाई कनेक्शन मुफ्त की चीजों सेबदलने लगे हैं हमारे खून की तासीरहम कमाना नहीं चाहते अमरबेल की तरह फैलना … Read more