प्रीत शेष है मीत धरा पर
नवगीत- प्रीत शेष है मीत धरा पर प्रीत शेष है मीत धरा पररीत गीत शृंगार नवल।बहे पुनीता यमुना गंगापावन नर्मद नद निर्मल।। रोक सके कब बंधन जल कोकूल किनारे टूट बहेआँखों से जब झरने चलतेसागर का इतिहास कहे पके उम्र के संग नेह तबनित्य खिले सर मनो कमल।प्रीत……………………..।। सरिताएँ सागर से मिलतीनेह नीर की ले … Read more