पुस्तकों का आश्रय पाकर
पुस्तकों का आश्रय पाकर
तुम जो चाहे बन सकते हो |
चीर कर अज्ञान के तम को
ज्ञान मार्ग पर बढ़ सकते हो |
संस्कारों की पूँजी पाकर
तुम जो चाहे बन सकते हो |
चीरकर आधुनिकता की बेड़ियाँ
आदर्श राह पर बढ़ सकते हो |
आदर्शों की पूँजी लेकर
तुम जो चाहे बन सकते हो |
चीर कुविचारों की बेड़ियाँ
सच की राह पर बढ़ सकते हो |
आध्यात्म का आश्रय लेकर
तुम जो चाहे कर सकते हो |
चीर भौतिक सागर की लहरों को
मोक्ष मार्ग पर बढ़ सकते हो |
पुस्तकों का आश्रय पाकर
तुम जो चाहे बन सकते हो |
चीर कर अज्ञान के तम को
ज्ञान मार्ग पर बढ़ सकते हो ||
रचयिता – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “