बेटी पर कविता

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बेटी पर कविता एक मासूम सी कली थीनाजों से जो पली थी आँखों में ख़्वाब थे औरमन में हसरतें थीं तितली की मानिन्द हर सुउड़ती वो फिर रही थी सपने बड़े थे उस केसच्चाई कुछ और ही थी अनजान अजनबी जबआया था ज़िंदगी में दिल ही दिल में उस कोअपना समझ रही थी माँ बाप … Read more

बेटी पर दोहा छंद

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बेटी पर दोहा छंद बेटी सृष्टि प्रसारणी , जग माया विस्वास।धरती पर अमरित रची, काया श्वाँसो श्वाँस।।.बेटी जग दातार भी ,यही जगत आधार।जग की सेतु समुद्र ये, जन मन देवा धार।।.बेटी गुण की खान है, त्याग मान बलिदान।राज धर्म तन तीन का,सत्य शुभ्र अभिमान।।.बेटी व्रत त्यौहार की, सामाजिक सद्भाव।कुटुम पड़ोसी जोड़ती,श्रद्धा भक्ति सुभाव।।.बेटी यसुदा मात … Read more

पुस्तकों का आश्रय

इस रचना में पुस्तकों के महत्त्व का बखान मिलता है | साथ ही पुस्तकें किस तरह से हमारे जीवन को दिशा दे सकती हैं की ओर इशारा किया गया है |

तारों सितारों में तुझे ढूंढता हूँ

इस रचना में कवि उस प्रभु को जीवन की विभिन्न कठिन परिस्थितियों में ढूँढने का प्रयास कर रहा है | उस प्रभु को खोज रहा है |

तू मेरा मालिक

इस रचना में प्रभु की महिमा का वर्णन है | जिसके सहारे हमारे जीवन को दिशा मिलती है |