बेटी पर कविता
बेटी पर कविता एक मासूम सी कली थीनाजों से जो पली थी आँखों में ख़्वाब थे औरमन में हसरतें थीं तितली की मानिन्द हर सुउड़ती वो फिर रही थी सपने बड़े थे उस केसच्चाई कुछ और ही थी अनजान अजनबी जबआया था ज़िंदगी में दिल ही दिल में उस कोअपना समझ रही थी माँ बाप … Read more