मतदान विषय पर दोहे- बाबू लाल शर्मा
सोच समझ मतदान
(दोहा-छंद)
1.
मत अयोग्य को दें नहीं, चाहे हो वह खास।
वोट देय हम योग्य को, सब जन करते आस।।
2.
समझे क्यों जागीर वे, जनमत के मत भूल।
उनको मत देना नहीं, जिनके नहीं उसूल।।
3.
एक वोट शमशीर है, करे जीत या हार।
इसीलिए मतदान कर, एक वोट सरकार।।
4.
मतदाता पहचान को, लेय कार्ड बनवाय।
निर्भय हो निर्णय करें, वोट देन को जाय।।
5.
वर्ष अठारह होत ही, बी.एल.ओ पहि जाय।
मतदाता सूची बने, तुरतहि नाम लिखाय।।
6.
अपना मत निर्णय करे, सत्य बात यह मान।
यही समझ के कीजिए, सोच समझ मतदान।
7.
लोखतंत्र मे ही मिला, यह अनुपम उपहार।
अपने मत से हम चुनें, अपनी ही सरकार।।
8.
भारत के हम नागरिक, मत अपना अनमोल।
संसद और विधायिका, चुनिए आँखे खोल।।
9.
ई.वी.एम. को देखिए, चिन्ह चुनावी देख।
अंतर्मन से वोट दें , तर्जनि अंगुलि टेक।।
10.
सबको यह समझाइए, देना वोट विवेक।
लोकतंत्र कायम रहे, चुनिए मानस नेक।।
11.
बड़े बुजुर्गन साथ ले, चलना अपने बूथ।
मत का हक छोड़ें नहीं, चाहे भीड़ अकूथ।।
12.
नर नारी दोनो चलें, पंक्ति भिन्न बनवाय।
बारी बारी वोट दो, सबको यह समझाय।।
13.
सबसे वर जनतंत्र है, भारत देश महान।
मतदाता उसके बनें, यही हमारी शान।।
14.
जन प्रतिनिधि सारे चुने, अपने मत से आप।
फिर कैसा डर आपको, कैसा पश्चाताप।।
15.
सगा सनेही मीत जन, सबको यह समझाय।
अपना हक मतदान है, विरथा कभी न जाय।।
© बाबू लाल शर्मा “बौहरा”, विज्ञ