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  • जल के बिना मरना हर पल है – प्रियांशी मिश्रा

    जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है – H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है।

    जल पर कविता
    22 मार्च विश्व जल दिवस 22 March World Water Day

    जल के बिना मरना हर पल है- प्रियांशी मिश्रा

    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।
    जल है तो जीवन जीना भी सम्भव है ‌,
    जल के बिना सब कुछ असम्भव है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल संचय करना भी जरूरी है,
    जल के बिना जिन्दगी अधूरी है।
    जल से ही तो हरी -भरी खेती है,
    जिससे किसान की रोजी-रोटी है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल से भरती नदियां और सागर है,
    जल से ही भरें महासागर है ‌।
    जल की हर बूंद का होता एक अर्थ है,
    जल को नहीं करना हमें व्यर्थ है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल है तो अनाज और फल है,
    जल से ही तो हमारा आज और कल है।
    जल से बुझती सबकी प्यास है,
    जल के बिना टूटती सबकी आस है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल से ही तो पूरा संसार है,
    जल के बिना पृथ्वी पर विपदा अपार है।
    जल को बचाना है, यही मन में ठाना है।
    जानवरों को नदियों में नहीं नहलाना है,

    जल ही जीवन है सबको बताना है।
    जल को व्यर्थ में नहीं बहाना है।
    खुद भी समझना है, और दूसरो को भी समझाना है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है ।


    प्रियांशी मिश्रा

  • जयी बनो – जयशंकर प्रसाद

    कविता बहार में आप का सवागत है आज हम जयशंकर प्रसाद की एक कविता जाई बनो इसके बारे में यह पढेंगे ,आसा है यह कविता आप आत्यन्त पसंद आयेगी

    जयी बनो - जयशंकर प्रसाद

    जयी बनो – जयशंकर प्रसाद


    हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
    स्वयं प्रभा समुज्वला स्वतंत्रता पुकारती।


    अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो,
    प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो।


    असंख्य कीर्ति रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह सी
    रुको न मातृभूमि के सपूत शूर साहसी।


    अराति-सैन्य-सिंधु में सुवाड़वाग्नि से जलो,
    प्रवीर हो, जयी बनो बढ़े चलो, बढ़े चलो।


    -जयशंकर प्रसाद

  • प्रयाण गीत – गोपालप्रसाद व्यास

    प्रयाण संगीत (march) एक प्रकार का संगीत है जो प्रायः सैनिक वाद्य (मिलिटरी बैण्ड) में प्रयुक्त होती है।

    kavita
    कविता बहार

    प्रयाण-गीत गाए जा!- गोपालप्रसाद व्यास


    प्रयाण-गीत गाए जा ! स्वर में स्वर मिलाए जा।
    यह ज़िन्दगी का राग है, जवान जोश खाए जा!
    प्रयाण-गीत गाए जा!


    तू कौम का सपूत है, स्वतन्त्रता का दूत है,
    निशान अपने देश का उठाए जा, उठाए जा!

    प्रयाण-गीत गाए जा!


    ये आँधियाँ पहाड़ क्या? ये मुश्किलों की बाढ़ क्या?
    दहाड़ शेरे-हिन्द, आसमान को हिलाए जा!
    प्रयाण-गीत गाए जा!


    तू मातृभूमि के लिए, जला के प्राण के दिए,
    नयी किरण प्रकाश की जगाए जा, जगाए जा!
    प्रयाण-गीत गाए जा!


    तू बाहुओं में आन भर, सगर्व वक्ष तानकर,
    गुमान माँ के दुश्मनों का धूल में मिलाए जा!
    प्रयाण-गीत गाए जा!


    प्रयाण-गीत गाए जा! तू स्वर में स्वर मिलाए जा।
    यह ज़िन्दगी का राग है, जवान गुनगुनाए जा!


    गोपालप्रसाद व्यास

  • हर हर महादेव पर कविता

    हर हर महादेव पर कविता – शंकर या महादेव सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।

    हर हर महादेव पर कविता

    bhagwan Shiv
    शिव पर कविता


    हर-हर महादेव जय-जय!
    हर-हर महादेव जय-जय!
    बढ़े चलो पग-पग निर्भय!!


    याद करो तुम अपना गौरव,
    याद करो तुम अपना वैभव,
    याद करो तुम अपना उद्भव,
    अजर अमर हे मृत्युंजय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!

    याद करो इतिहास पुरातन,
    याद करो विश्वास पुरातन,
    अपने पुण्य-प्रयास पुरातन,
    जहाँ तुम्हारी खड़ी विजय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!


    आदि सृष्टि के तुम निर्माता,
    वेद उपनिषद के तुम दाता,
    तुम भारत के भाग्य विधाता,
    तुम भविष्य के स्वर्णोदय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!

    जागो मनु महर्षि के वंशज,
    जागो सूर्य चन्द्र के अंशज,
    जागो हे दिलीप, जागो अज,
    जागो हे निर्भय, दुर्जय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!


    जागो राम, कृष्ण, हे शंकर
    जागो भीम, भीष्म, प्रलयंकर,
    जागो मेरे पार्थ धनुर्धर,
    जागो हे जीवन की जय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!

    जागो चन्द्रगुप्त के गायक,
    विक्रम के ध्वज के उन्नायक,
    आर्यभूमि जनगण नायक,
    नवजीवन हो आज उदय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!


    जागो हे अतीत के तपधन,
    जागो जीवन में जय के क्षण,
    जागो क्षत्रिय के पावन प्रण,
    मान रहे या प्राण प्रलय,
    हर-हर महादेव जय-जय!!


    जन-जन में हो आज संगठन,
    मन-मन में हो आज संगठन,
    जीवन में हो आज संगठन,
    आज सभी विघटन हो क्षय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!


    कोटि-कोटि कंठों का गर्जन,
    कोटि-कोट प्राणों का अर्चन,
    कोटि-कोटि शीशों का अर्पन,
    साथ तुम्हारे है निश्चय
    हर-हर महादेव जय-जय!!

    खड़ी आज भी शंका अविचल,
    खड़ी आज भी लंका अविचल,
    बजे तुम्हारा डंका अविचल,
    राम-राज्य हो पुन: उदय!
    हर-हर महादेव जय-जय!!

  • पृथ्वीराज चौहान पर कविता(दोहा छंद) -बाबूलाल शर्मा विज्ञ

    पृथ्वीराज चौहान पर कविता(दोहा छंद) -बाबूलाल शर्मा विज्ञ

    अजयमेरु गढ़ बींठली, साँभर पति चौहान।
    सोमेश्वर के अंश से, जन्मा पूत महान।।

    ग्यारह सौ उनचास मे, जन्मा शिशु शुभकाम।
    कर्पूरी के गर्भ से, राय पिथौरा नाम।।

    अल्प आयु में बन गए, अजयमेरु महाराज।
    माँ के संगत कर रहे, सभी राज के काज।।

    तब दिल्ली सम्राट थे, नाना पाल अनंग।
    राज पाट सब कर दिया, राय पिथौरा संग।।

    दिल्ली से अजमेर तक, चौहानों की धाक।
    गौरी भारत देश को, तभी रहा था ताक।।

    बार बार हारा मगर, क्षमा करे चौहान।
    यही भूल भारी पड़ी, बार बार तन दान।।

    युद्ध तराइन का प्रथम, हारे शहाबुद्दीन।
    क्षमा पिथौरा ने किया, जान उन्हे मतिहीन।।

    किये हरण संयोगिता, डूब गये रस रंग।
    गौरी फिर से आ गया, लेकर सेना संग।।

    युद्ध तराइन दूसरा, चढ़ा कपट की भेंट।
    सोती सेना का किया, गौरी ने आखेट।।

    राय पिथौरा को किया, गौरी ने तब कैद।
    आँखे फोड़ी दुष्ट ने, बहा न तन से स्वेद।।

    बरदाई मित संग से, करतब कर चौहान।
    लक्ष्य बनाया शाह को, किया बाण संधान।।

    अमर पात्र इतिहास के, राय पिथौरा शान।
    गर्व करे भू भारती, जय जय जय चौहान।।

    बाबू लाल शर्मा बौहरा ‘विज्ञ’
    सिकंदरा, दौसा, राजस्थान