परम्परानुसार इस दिन प्रतीकात्मक उपहार देने तथा कुछ परम्परागत महिला कार्य जैसे अन्य सदस्यों के लिए खाना बनाने और सफाई करने को प्रशंसा के संकेत के रूप में चिह्नित किया गया था। मातृ दिवस, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में कई देशों में 8 मार्च को मनाया जाता हैं।
मुख्य बिन्दु :-
माँ पर दोहे- प्रेमचन्द साव “प्रेम”
ममतामयी ममत्व की,है पावन प्रतिरूप। श्रेष्ठ सदा संसार में,माँ का प्यार अनूप।।१।।
माँ से बढ़़कर कब कहाँ,है कोई भगवान। माँ ही है संसार में,ममता की पहचान।।२।।
माँ निज बच्चों के लिए,सदा लगाकर प्राण। जीवन के दुखदर्द से,नित करती हैं त्राण।।३।।
माँ ही सुख की छाँव है,माँ ही सरस फुहार। माँ के आशीर्वाद बिन,कब हो बेड़ापार ?।।४।।
क्या समझे इस बात को,जग में जो मतिहीन। जिनकी माँ होती नहीं,वही मनुज है दीन।।५।।
माँ ही है गुरुवर प्रथम,जिनसे पाया ज्ञान। कृपा मिले जब मातु का,मानव बना महान।।६।।
माँ मंगलमय मूर्त बन,सदा करे उपकार। पीड़ा पीकर भी भरे,बच्चों में संस्कार।।७।।
बेटे को जिनसे मिला,जग में प्यार अकूट। उस माता को त्याग दी,हो माया वशीभूत।।८।।
बूढ़ी माँ क्या मांँगती,दो रोटी अरु दाल। पुत्र,वधु समझे उसे,जीवन का जंजाल।।९।।
जिस माँ ने परिवार का,सदा उठाया भार। नहीं सके उसको जतन,बेटे मिलकर चार।।१०।।
*”प्रेम”* कभी तुम मातु का,मत करना अपमान। माँ रूठे तब रूठता,इस जग का भगवान।।११।।
मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है
मातृ दिवस पर दोहे- -गजेन्द्र हरिहारनो “दीप”
विषय :- माँ विधा :- दोहा छंद —————————
आशीषों की पोटली , अनुपम माँ का प्यार । बिन माँगे मिलता मुझे , माँ का लाड़ दुलार ।
माँ से मिलता प्यार है , माँ से लाड़ दुलार । जीवन भर मिलता रहे , माँ से ये उपहार ।
हर पल हर क्षण हर घड़ी,रखती सबका ध्यान । माँ होती पहली गुरू , माँ ही है भगवान ।
ममता से ही सींचकर , पाले माँ परिवार । ख़ुशी बाँटने के लिए, सब कुछ देती वार ।
माँ की आँखें रो रही , वाणी देखो मौन । ऐसा वीर जवान फिर , देगा मुझको कौन ?
मां विषय पर दोहे
(1) *हमे सुलाए सूख में*,मां गीले में सोय। उसके इस उपकार का,मोल नही है कोय।
(2) *माँ से अच्छा कौन है*,दुनिया में सरताज। *सुंदरता में मंद है*,उससे भी मुमताज।।
(3) दुनिया में निर्माण की, माता ही है मूल। कृपा होय तो दूर हों, सकल जगत के शूल।
(4) नहीं मातु बिन होत है, दुनिया का कल्याण। चरणों मे सिर जा पड़े,सबका हो कल्याण।
आँख में अंगार, साँसों में लिए तूफान, जाग, भारतवर्ष के सोए हुए अभिमान।
धर्म-पुत्रों ने नहीं देखा कपट का जाल, फाँसती ही गई उनको शत्रु की हर चाल। भीम-अर्जुन भी रहे अपमान भीषण झेल, बहुत महँगा पड़ रहा है, यह जुए का खेल। द्रौपदी-सी चीखती है यह धरा असहाय, वस्त्र खींचे जा रही धृतराष्ट्र की संतान, जाग, भारतवर्ष के सोए हुए अभिमान। मौन बैठे भीष्म द्रोणाचार्य हैं चुपचाप,
कर रहे नत शिर, युधिष्ठिर मौन पश्चात्ताप। हँस रहा दुर्योधनों-दुःशासनों का झुण्ड, भूमि का जीवन बनेगा क्या नरक का कुंड? ‘शत्रु शोणित से धुलेंगे द्रोपदी के केश’ भीम! उठकर के सभा में यह प्रतिज्ञा ठान।
जाग, भारतवर्ष के सोए हुए अभिमान। न्याय घायल, सत्य के मन में व्यथा है आज, घट रही फिर महाभारत की कथा है आज। स्वार्थ गाते, नग्न हो पशुता रही है नाच, पाण्डुनन्दन मोह की गाथा रहे हैं बाँच।
बन्धुता रोती, सिसकते मित्रता के प्राण, सामने कौरव खड़े हैं माँगते रण-दान, जाग, भारतवर्ष के सोए हुए अभिमान।
हो रहा है शक्ति-मद में शत्रु रक्त-पिपासु, कौन है, केशव यहाँ पर न्याय का जिज्ञासु? हिंस्र पशुओं के नयन हर ओर आज सतृष्ण, संधि की बातें न छेड़ो ओ कलाधर कृष्ण। गोपियों का दल नहीं यह कौरवों का झुण्ड, बाँसुरी फेंको उठाओ पांचजन्य महान, जाग, भारतवर्ष के सोए हुए अभिमान।
उठ भीम, उठ भारत महाभारत ठनेगा आज, हम बचा करके रहेंगे द्रोपदी की लाज। भीम का प्रण पूर्ण होने पर बंधेगे केश, कृष्ण! दो अबिलम्ब गीता का अमर उपदेश। बज रही भेरी नहीं थमते रथों के अश्व, कहो अर्जुन से करें गांडीव का संधान, जाग, भारतवर्ष के सोए हुए अभिमान।
परीक्षा मे ज्यादा नम्बर लेकर आना ही जीवन की राह तय नहीं करता ! इसके साथ – साथ ज्ञान भी जरूरी है ! सिर्फ अच्छे नम्बर से कोई जीवन मे सफलता हासिल नहीं कर सकता है ! ना ही डिवीज़न से ! कभी – कभी थर्ड डिवीज़न वाला भी आई.ए.एस , डॉक्टर , इंजीनियर, सी.ए बन जाता है ! आपके परीक्षा का नम्बर आपकी जिंदगी तय नहीं करता ना ही आपकी राह ! ये नम्बर तो एक जीवन का खेल है ! आपका असली ज्ञान, हौसला, आगें बढ़ने की इच्छा, शौक आपकी जीवन का राह तय करता है ! आपकी सफलता की नींव बनाती है !
कभी – कभी अच्छे नम्बर वाले भी फ़ेल हो जाते है, कुछ नही बन पाते है ! सिर्फ मार्क्स जीवन का लक्ष्य निर्धारित नहीं करती है ! आपका मजबुत संकल्प, आत्मविश्वास, मेहनत , आगे बढ़ने की चाह ही आपको सफलता के कदम चूमने को अग्रसर करती है ! जब तक इंसान में सिर्फ नंबर, रिजल्ट की चाह रहेगी वो जीवन में सक्सेसफुल हो सकता है लेकिन एक सीमित अवधि तक ! दुनिया में नाम – ख्याति प्राप्त नहीं कर सकता ! जब इंसान में नॉलेज, आत्मविश्वास, हौसले का हुनर समा जाएगा फिर वो जीवन मे आई.ए.एस ही नही राष्ट्रपति भी बन सकता है ! जीवन मे फ़ेल होना कोई बुरी बात नही जो फ़ेल होता है वही टॉपर्स होता है ! जीवन मे कोई फ़ेल नही होता वो तो आगे बढ़ता है ,सीखता है और समाज को नई राह दिखाता है !
आज दुनिया के सबसे समृद्ध देश अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन वो भी जीवन मे असफलता की अनेकों सीढियों को पाते गए मगर कभी हार नही माने और अमेरिका के राष्ट्रपति बन गये ! हमारे भारत के राष्ट्रपति, मिसाईल मैन डॉक्टर ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को भी इंडियन पायलट के एग्ज़ाम मे साथ ही एक बार पढ़ाई पिरियड मे पेपर लीक हो जाने से असफल हो गए लेकिन उन्होंने हौसला, आत्मविश्वास बनाए रखा और बन गये भारत के राष्ट्रपति !
दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन बिल गेट्स के पास डिग्री नहीं है लेकिन आज सबसे सफल ही नहीं दुनिया के सबसे अमीर आदमी है ! बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन जिनको उनके आवाज के कारण रिजेक्ट किया गया लेकिन आज पूरी दुनिया पर राज कर रहें है ! माधुरी दीक्षित भारतीय सिनेमा की धकधक अभिनेत्री बनी । क्या उनके पास अच्छे नंबरों से पास होने की डिग्री है या कोई नौकरी है ? उनके पास तो आत्मविश्वास, हुनर है जो सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया के दिलों पर छाई हुई है ! भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला लता मंगेशकर जिनके पास कोई बड़ी यूनिवर्सिटी की डिग्री है या जॉब ! नही वो है तो आत्मविश्वास, हुनर, लग्न और आगे बढ़ने की लालसा तभी आज पूरी दुनिया मे महान है ! आज दुनिया मे जो भी सफल व्यक्ति या ख्याति प्राप्त है उनके पास किसी बड़े संस्था से डिग्री नही है ?
सिर्फ है तो आत्मविश्वास, नॉलेज , हुनर , आगे बढ़ने की लालसा! जैसे भारतीय उद्योग के जन्मदाता जमशेद रतनजी टाटा अंग्रेजो के जमाने के ख्याति प्राप्त बिजनेस मैन जिनके आत्म विश्वास ने दुनिया के विख्यात लोगों में शुमार कर दिया ! एशिया के नम्बर एक उद्योगपति मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी जी क्या थे ? क्या उनके पास कोई डिग्री थी ? नहीं न और ना संपत्ति , और ना कोई नौकरी ! प्राइवेट जॉब करते थे लेकिन उनके पास आगे बढ़ने की ललक थी, आत्म विश्वास था तब आज वो यहाँ है!
भारतीय गणितज्ञ एस.रामानुजन जो मैट्रिक मे फ़ेल, इंटर मे फ़ेल लेकिन गणित मे 100 मे 100 लाने वाले रॉयल सोसायटी लंदन के मेम्बर बन गए क्योकिं उनके पास काबिलियत थी, हुनर था वो था टैलेंट जिनकी पूरी दुनिया दिवानी थी और आज भी है ! न्यूटन जो एक सेब के कारण गुरुत्वाकर्षण का नियम, गति का नियम एवं जड़त्व का नियम को खोज निकाला क्योकिं उनके पास सोचने की शक्ति थी जो हर कोई कर सकता है मगर सभी के पास वो काबिलियत नही है! दुनिया में कोई भी चीज करना आसान है मगर जब उसे आसान सोचा जाए ! अल्बर्ट आइंस्टीन जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc2 की खोज किये ! देखने में साधु जैसा भेष मगर उनकी दिमागी क्षमता अतुलनीय थी ! जिन्हे कुशल गणितज्ञ माना जाता है !
भारतीय स्वर सम्राट मोहम्मद रफी जिन्हें कौन नही जानता है! लगभग 1 लाख से ऊपर गाना गाने का विश्व रिकॉर्ड और किसी के पास नहीं है ! हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की उपलब्धियों को पूरी दुनिया जानती है एक फोर्स के सिंपल नौकरी करने वाले अपने काबिलियत के दम पर ही पूरी दुनिया में इतिहास रच दिए ! भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर जिनके खेल का पूरी दुनिया लोहा मानती है, आज उन्हे पूरी दुनिया क्रिकेट का भगवान मानती है वो मैट्रिक फ़ेल लेकिन उनकी हुनर से उन्हे आज पूरी दुनिया जानती है !
जीवन मे नम्बर , मार्क्स आपको महान , टॉप नही बनाती है ! आपकी सोच , हौसला , आत्मविश्वास, हुनर , आगे बढ़ने की कोशिश आपको सफल बना सकती है ! आपका डिवीज़न कुछ भी हो ज्ञान का होना अतिआवश्यक है ! कभी हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम साहब ने कहा था “छोटा लक्ष्य एक अपराध है” अत: जीवन मे नम्बर, मार्क्स के पीछे नहीं भागे ! ज्ञान, आत्मविश्वास, हुनर के पीछे भागे !
~ रुपेश कुमार प्रतियोगी छात्र एवं लेखक चैनपुर, सीवान, बिहार मो0 – 9006961354 ई-मेल – [email protected]
मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है
माँ पर कविता
माँ पर कविता
माता सम दाता नहीं,यह अनुभव कर गान। मन अति व्याकुल हो रहा,मौन अधर धर ध्यान।।
तन-मन-धन सब कुछ दिया,सूरज चंदा दान। खुला गगन सिर पर दिया,भर ले जीव उड़ान।।
पिता छाँव सिर पर दिया,आँचल छाँव महान। दूध पिला कर तृप्ति दी,कर ले जीव गुमान।।
हाथ पकड़कर दी डगर,कदम-कदम का दान। संत-तीर्थ सेवा दिया,कर जीवन कल्यान।।
जीव उसी का अंश यह,करे उसी का गान। खुशी-खुशी बाँटे सकल,खुशियाँ मिले महान।।
जो भी जग में प्राप्त है,माँ का ही वह दान। माँ के चरणों में धरूँ,संकोची लघु मान।।
माँ का ऋण तो ऋण नहीं,माता कुल है मान। माँ आँचल में सिर छिपा,माँ ऋण को पहचान।।
उर में माता प्रेम भर,नित-प्रति माँ से मांग। कल्पनेश तू त्याग दे,उऋण रहे का स्वांग।।
कौन उऋण माँ से हुआ,मन में करो विचार। गिरा भवानी का यही,सुन मन रे उद्गार।।
नेक पंथ पर पाँव धर,चल आगे ही देख। माँ को खुशियाँ तब मिले,लख सुत खींची रेख।।
हृदय फूल महुआ बने,मिष्टी भरे मिठास। माँ अधरों पर तब मिले,मधुर-मधुर नित हास।।
हृदय फैल पृथ्वी बने,निज लालन को देख। माँ के मन में तोष हो,शास्त्र करें उल्लेख।।
शिव निज मानस में रचें,करें चरित का गान। सुन-सुन सारा जग लखे,जग में होत विहान।।
बाबा कल्पनेश
मेरी माँ ही तो मेरी जान है-वंशिका यादव
आज मुझे माँ की जरूरत है तो नहीं पास है, माँ एक इंसान नहीं माँ तो बस एहसास है।
अगर हर कोई माँ जैसा प्यार करे तो कमी किसकी खलेगी, माँ के बिना दुनिया में तुम अकेली कैसे चलोगी, आज माँ है तो दो पल बैठ ने का वक्त नहीं, कल माँ न रही तो गले किसके मिलोगी।
आज माँ है तो दो पल बैठ ने का वक्त नहीं कल दो पल होगें और वक्त नहीं।
माँ के बिना कोई भी दिन नहीं होता
कौन कहता है कि साल में एक दिन माँ का दिन होता है … सच पूछो तो यारो माँ के बिना कोई भी दिन नहीं होता माँ के बिना कोई भी दिन नहीं होता।
न दिन होता है न रात होती है न सुबह होती है न शाम होती है , या हम ये कहें कि माँ के बगैर तो ये जीवन ही नहीं होता है ! उस इंसान से पूछिए जिसके सर से माँ का साया बचपन से छीन गया हो , वो बताएगा कि माँ की क्या अहमियत है , किसी के जीवन में माँ की क्या कीमत है ! जीवन में माँ का नहीं है कोई मोल , माँ है तो जीवन हो जाता है अनमोल ! ममता और वात्सल्य की मूर्ति होती है माँ, दया,करुणा और क्षमा की प्रतिमूर्ति है माँ !
रात रात को जागकर ,कभी भूखे पेट रहकर , हमें जीवन देती है खुद दुःख कष्ट सहकर ! जिसने जीवन में पायी हो माँ की दुआ , क्या बिगाड़ेगी उसको किसी की बद्दुआ ! जिसको मिला हो जीवन में माँ का आशीर्वाद , उसका जीवन हो जाता है खुशियों से आबाद ! जिसने कर लिया जीवन में माँ बाप की पूजा , उसे जाने की जरुरत नहीं मंदिर न और दूजा !
माँ की दुवाओं का वैसे तो कोई रंग नहीं होता पर, जब ये रंग लाती हैं तो जीवन खुशियों से भर जाता ! दुनिया का सबसे खूबसूरत अगर कोई रिश्ता है, माँ का बच्चे के प्रति निस्वार्थ स्नेह भरा रिश्ता है! बच्चा चाहे कर ले जितने भी सितम उस पर , माँ कहेगी बेटा आज कुछ खाया कि नहीं दिन भर ! पता नहीं कितने सख्त और पत्थर दिल वो होंगे , जो जीते जी माँ बाप को वृद्धाश्रम में भेजते होंगे ! क्या दुनिया में इससे बड़ा कोई पाप होगा , जिसे जीवन में लगा माँ बाप का श्राप होगा !
दुनिया में इससे बढ़कर नहीं कोई है सेवा , माँ यदि खुश तो जीवन भर मिलेगी मेवा! इसलिए आज से रोज रखें माँ का ख्याल , तभी सबका जीवन होगा सुंदर और खुशहाल !
एस के नीरज
माँ को समर्पित रचना
ज़ख्म भर जाता नया हो, या पुराना गोद में, हाँ खुशी से पालती है, माँ ज़माना गोद में।
वो दुलारे वो सँवारे, वो निहारे प्यार से, लोरियाँ भी हैं ऋचाएँ, गुनगुनाना गोद में।
चाँद तारे खेलते हैं, सूर्य अठखेली करे, आसमां भी ढूँढता है, आशियाना गोद में।
मैं सुखी था मैं सुखी हूँ, और होगा कल सुखद, मिल गया आनंद का है, अब खज़ाना गोद में।
क्यों कहूँ मैं स्वर्ग जैसा, मात का आँचल लगे, देवता भी चाहते हैं, जब ठिकाना गोद में।
ढाल बनती है सदा तू, संकटों से जब घिरूँ, आसरा है एक तेरा, माँ सुलाना गोद में।
गीता द्विवेदी
माँ का मन शुचि गंगाजल है
सकल जगत की धोती मल है। माँ का मन सुचि गंगाजल है।।
हित – मित संसार में स्वार्थ, भ्राता,पत्नि के प्यार में स्वार्थ। बेटा – बेटी आदि जितने भी- सबके सरस व्यवहार में स्वार्थ।
पावन माँ का प्यार अचल है। माँ का मन सुचि गंगाजल है।।
कूछ भी हो कभी नहीं घबडा़ती, गजब अनूठी माँ की छाती। पति , पुत्र हेतु आगे बढ़कर- माँ यमराज से भी लड़ जाती।
माता सभी प्रश्नों का हल है। माँ का मन सुचि गंगा जल है।।
सभ्यता,संस्कार कुबेटा में बोती, माता कदापि कुमाता नहीं होती। दीनता,दुख ,विपत्ति को सहकर- देती जग को सत्य की मोती।
सभय अभय करती हर पल है। माँ का मन सुचि गंगा जल है।।
सुख – शान्ति सरस उपजाती, सबका मान सम्मान बढा़ती। जग सेवा में सर्वस्य लुटाकर- मन ही मन हरदम मुस्काती।
जग सर्वोपरि सेवा का फल है। माँ का मन सुचि गंगा जल है।।
बाबूराम सिंह कवि बड़का खुटहाँ , विजयीपुर गोपलगंज(बिहार)841508 मो०नं० – 9572105032
माँ की ममता
माँ की ममता, चमक चाँदनी, अमृत कलश लगे, माँ की ममता सात समंदर, गहराई से बढ़ कर लगे!
माँ ममता का रूप, मस्तक पे चाँद सोहे, माँ पूजा का थाल, रोशन सृष्टि समस्त करें!
चाहे प्यासा हो कितना सावन ममता हर प्यास बुझावे, शूलाे के दामन से कितने, फूल चुन चुन बिखेरे!
अक्छर, अक्छर साझा करती, दुःख हरणी, दुःख है हरती, खुशियाँ पालने है झूलाती, अनुपम स्वप्नों का संसार सजाती!
त्याग, समर्पण की बल्लेयाँ लेती, स्व जनों को मोतियन सा चमकाती, सर पर हाथ है हमेशा, चाहे बबंडर हो आंधी का!
चारों तीर्थंधाम कदमों में तेरे, वंदन शीश करूँ मैं तेरे, जगत जननी भी तू, जन्नत भी तू है मेरे!
रचयिता –ज्ञान भंडारी!
मां को पैगाम
वह नन्हा अबोध नासमझ को क्या पता! मां न रही अब दुनिया में, पर छुपाया गया उससे बिना कोई किए खता! वह आज भी भेजता है “पैगाम” उस मां को जो अब न रही,
कभी पतंगों में चिट्ठियां बांध कर, तो कभी मन के संचार से घंटो घंटों ऊपर आसमान में देख देखकर, इसलिए कि उसे बताया गया है कि मां ऊपर गयी है। वह उदास, चिंतित राह देखता सोंचता! कब पहुंचेगा? मां तक मेरा “पैगाम” मां आयेगी मुझे सुलाएगी गोदी में बहलाएगी लोरी गा कर, झड़ेंगे ममता के फूल मुझ पर, पहुंच जाता था उस शव के पास इसलिए कि उसे पता है कि वह ऊपर जा रहा है, ले जाएगा उसके मां के लिए उसका वह “पैगाम “।
रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी
कहीं माँ के आँचल तले – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “
कहीं माँ के आँचल तले
स्वयं को सुरक्षित पाता जीवन।
कहीं पिता के पुरुषार्थ तले
स्वयं को आत्म निर्भर करता जीवन।
कहीं प्रेयसी के अनुराग में
दुनिया को भूलता जीवन।
कहीं ईश्वर के चरणों में
स्वयं को खोजता जीवन।
कहीं उल्लास में झूमता जीवन
कहीं शोक में उद्दिग्न जीवन।
अपना जीवन पराया जीवन
अस्तित्व को टटोलता जीवन।
माँ पर कविता – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “
माँ ,माँ का मातृत्व हो तुम वात्सल्य से ,परिपूर्ण हो तुम स्वस्थ पवित्र ,नारीत्व हो तुम माँ तेरा ,माँ सा रूप हो तुम
संस्कृति की रक्षक हो तुम संस्कारों को, पुष्ट करती हो तुम मातृत्व तेरा सत्य, देवी हो तुम विनम्रता से सुसज्जित हो तुम
जीवन का अस्तित्व हो तुम कुशलता और चपलता की मूर्ति हो तुम आस्तिकता की ढाल हो तुम जीवन का आधार हो तुम
कर्तव्यपूर्ण जीवन से सुसज्जित माधुरी की सौगात हो तुम शिष्टाचार शिरोधार्य हो तुम शिष्ट एवं गंभीर, नायिका हो तुम
नर हेतु, नारायणी हो तुम माँ ,गांभीर्य से समृद्ध हो तुम माँ ,मोक्ष की देहलीज हो तुम माँ ,जीवन साकार हो तुम
माँ ,गुणवती, आयुष्मती हो तुम माँ ,तपस्विनी ,जगजननी हो तुम माँ ,मनोहारिणी ,हंसवाहिनी हो तुम माँ, राधिका ,यशस्विनी हो तुम
माँ ,शक्तिमती, भाग्यवती हो तुम माँ ,धैर्यवती ,ज्ञानवती हो तुम माँ, माँ का मातृत्व हो तुम माँ, वात्सल्य से परिपूर्ण हो तुम
गीत – माँ आखिर माँ होती है.
पालने में रोये लाल मात का, माँ लोरी उसे सुनाती है. गिरने पर माँ सम्भाल लेती, माँ उंगली पकड़ चलाती है. माँ ही प्रथम गुरु है, माँ ही भाषा सिखलाती है. नेक राह पर चलो सदा, ये माँ ही हमें बताती है. चोट लगे बच्चे को गर, उस दर्द से माँ रोती है. माँ आखिर माँ होती है, माँ आखिर माँ होती है.
माँ ने बच्चों की खातिर, मेहनत और मजदूरी की. स्वयं सहे संकट हजार, बच्चों की ख्वाहिश पूरी की. खुशियाँ भर दीं झोली में, बच्चों से गमों की दूरी की. मेरा बच्चा है स्वस्थ आज, इतने से ही माँ ने सबूरी की. बच्चों को खाना देकर, जो स्वयं भूखी सोती है. माँ आखिर माँ होती है, माँ आखिर माँ होती है.
निज माँ को कभी दुख न देना, ओ! माताओं के दुलारे लाल. करो सदा माँ की सेवा, समझा रहा है आज कवि विशाल. माँ बिन हर घर लागे सूना, माँ से घर में है खुशहाली. माँ घर में हो तो घर में, हर रोज है ईद दीवाली. माँ की एक उम्मीदें बेटों से, न जाने पूरी क्यों नहीं होती है? माँ आखिर माँ होती है, माँ आखिर माँ होती है.
नाम- विशाल श्रीवास्तव. पिता का नाम- श्री ताराचंद्र मो.8081130764 पता- जलालपुर, फर्रुखाबाद
मां तू संपूर्णता का सार है हिन्दी कविता
मां तू संपूर्णता का सार है! बिन मांगे तूने मुझको दिया जीवन का उपहार है। अंश मात्र को रूप देह दे कर तू ने बनाया यह सारा संसार है।
9 महीने कोख में रखकर, बिन देखे मुझ पर लुटाया अपना सारा प्यार है। मां तू संपूर्णता का सार है!
मां का बचपन:-
खाना सिखाया, चलना सिखाया, सिखाया तूने सारा संस्कार है। आंख बंद करके दौड़ पड़ी तेरी और मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है। मेरा तुझ को परेशान करना कौतूहल से भरा हर एक काम करना, तू कहती यही तो तेरा ईनाम है । मां तू संपूर्णता का सार है!
मां की युवावस्था:-
तेरा प्रेम शून्य से लेकर अनंत तक का विस्तार है। अब बदला मेरे जीवन का धार है, तेरा फिक्र करना अब लगता मुझे बेकार है । अपनी बातों से मैंने पहुंचाया तुझे दुख हजार है । फिर भी तेरा वह निश्चल प्रेम मानो सागर का अथाह जल धार है। मां तू संपूर्णता का सार है!
मां की वृद्धावस्था:-
अब तुझ में भी जागा एक नन्हा शैतान है । नंगे पांव भागा करती थी तू मुझे खिलाने को , अब करना मुझे भी यही काम है । भुला नहीं मैं तेरे संस्कार तू ही मेरे जीवन का आधार है। आज भी कभी मुझे चोट लगे तो दर्द तुझे भी होता है । इतने बरसों में ना तू बदली ना तेरे यह प्यार का एहसास है। मां तू संपूर्णता का सार है!
मां:-बच्चे के साथ पैदा होती हर बार एक मां है । कि मेरे साथ साथ बदला तेरा भी ये जीवन काल है। तुझसे अलग कहां हूं मैं मां, मुझे भी तुझसे तेरे जितना ही प्यार है। मां तू संपूर्णता का सार है!
प्रांशु गुप्ता
विस्तृत व्यापक आँचल तेरा – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम ”
विस्तृत व्यापक आँचल तेरा। पलता बचपन यौवन मेरा।
तेरा नारीत्व बालपन खेले। सुबह सवेरे शाम सवेरे।
विस्तृत व्यापक आँचल तेरा। पलता बचपन यौवन मेरा।
नूर खिले मेरा तुझसे। संस्कार बने मेरा तुझसे।
गिरूं तो मुझे संभाले तू। डरूं तो मुझे बचा ले तू।
विस्तृत व्यापक आँचल तेरा। पलता बचपन यौवन मेरा।
विद्यमान तुझमे ईश्वरत्व है। पलता तुझमे वात्सल्य है।
वैसे तो प्रथम शिक्षक है तू। संस्कृति संस्कार की पोषक है तू।
विस्तृत व्यापक आँचल तेरा। पलता बचपन यौवन मेरा।
मातृत्व की पुण्यमूर्ति हो तुम। ममत्व से परिपूर्ण हो तुम।
आस्तिकता की पुण्यमूर्ति हो तुम। सौंदर्य से माँ परिपूर्ण हो तुम।
विस्तृत व्यापक आँचल तेरा। पलता बचपन यौवन मेरा।
शैशवावस्था से तुमने पाला है मुझे। माधुर्य तेरा जीवन अलंकार हो गया मेरा।
समृद्धि मेरी विस्तार हो गया तेरा। धीरज तेरा व्यवहार हो गया मेरा।
मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है
मां विषय पर दोहे
(1) *हमे सुलाए सूख में*,मां गीले में सोय। उसके इस उपकार का,मोल नही है कोय।
(2) *माँ से अच्छा कौन है*,दुनिया में सरताज। *सुंदरता में मंद है*,उससे भी मुमताज।।
(3) दुनिया में निर्माण की, माता ही है मूल। कृपा होय तो दूर हों, सकल जगत के शूल।
(4) नहीं मातु बिन होत है, दुनिया का कल्याण। चरणों मे सिर जा पड़े,सबका हो कल्याण।