Blog

  • हम वीरों की गाथा गायें – हिंदी कविता

    हम वीरों की गाथा गायें – हिंदी कविता

    हम वीरों की गाथा गायें – हिंदी कविता

    mahapurush

    हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढायें

    भारत माँ के उन लालों की
    पुण्य विजयी गाथा हम गायें

    उन वीरों के चरण कमल पर
    आओ हम मंगल पुष्प चढायें

    जीवन था जिनका कुछ क्षण का
    पर छाप छोड़ गए अमिट
    मातृभूमि की रक्षा पर
    किये प्राण जिन्होंने अर्पण

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    अनंत विजय का घोष किया
    मार्ग दिखाया देश प्रेम का

    मार्ग प्रशस्त किया जिन्होंने
    मातृभूमि पर न्योछावर का

    उन वीरों की विजयी गाथा को
    भावी पीढ़ी तक पहुंचायें

    लड़े अंत तक पूर्ण विजय तक
    पुष्ट किया आजादी को

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    शत शत नमन हमारा उनको
    पुण्य किया जिन्होंने इस धरती को

    मातृभूमि की पुण्य संस्कृति
    विश्व जन तक हम पहुंचायें

    स्वदेशी का नारा देकर
    अहिंसा का सहारा लेकर

    सत्य मार्ग प्रशस्त कर
    जन जन को सत्य मार्ग पर लेकर आयें

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    सत्याग्रह , सविनय अवज्ञा
    इन सबका महत्त्व बतायें

    भारत भूमि को हम
    विश्व मंच पर लेकर आयें

    उन वीरों के पुण्य त्याग को
    भावी पीढ़ी तक पहुंचायें

    विश्व विजयी तिरंगा प्यारा
    सब अपने – अपने घर पर फहरायें

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    भारत माँ के उन लालों की
    पुण्य विजयी गाथा हम गायें

    – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम

  • वक़्त कभी नाकाम नहीं होता – हिंदी कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    वक़्त कभी नाकाम नहीं होता – हिंदी कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    घड़ी

    वक़्त कभी नाकाम नहीं होता
    दिल दरिया कभी वीरान नहीं होता

    जख्म खाए नहीं जिसने जमाने में
    सदियाँ लगीं उसे मुस्कराने में

    वक़्त का इन्तजार ना कर जालिम
    वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता

    वक़्त को कैद कर अपना बना ले
    गया वक़्त दुबारा नहीं मिलता

    इतिहास लिख धरा पर
    वक़्त के माथे पर तिलक बन

    वक़्त की कद्र करना सीख ले तू
    वक़्त के आँचल में पलना सीख ले तू

    वक़्त का दामन जो तूने छोड़ा तो
    हर प्रयास तेरा नाकाम होगा

    वक़्त के साए में जीना सीख ले तू
    वक़्त के पालने में जीना सीख ले तू

    बना वक़्त को चिरपरिचित मित्र अपना
    वक़्त से सगा कोई मित्र नहीं होता

  • जल ही जीवन है

    जल ही जीवन है

    जल ही जीवन है

    शांत, स्वच्छ, निर्मल धारा, कभी है चंचल चितवन
    जल, नीर, पानी, कह लो, या कह लो इसको जीवन ।।

    धरती के गर्भ में पड़ते ही, हुआ जीवन का स्फूटन
    हृदय धरा का धड़क उठा, शुरू हुआ स्पंदन ।।

    झरने, झीलें, पोखर बने, बने बाग, वन, उपवन
    हरियाली की चूनर ओढ़े, वसुंधरा बनी नव दुल्हन ।।

    जलचर, थलचर, नभचर, और प्रकृति का कण-कण
    सदियों से जल ही बना हुआ है, सृष्टि का आलंबन ।।

    नीर बिना खो ही देगी, अवनि अपना यौवन
    जल बिना संभव नहीं, भूमि पर कहीं जीवन ।।

    बहुमूल्य यह निधि हमारी, करें आज यह चिंतन
    बूंद-बूंद कर इसे सहेजें, क्योंकि जल ही तो है जीवन ।।
    रचना चेतन

  • होली पर दोहे – हरिओम शर्मा

    होली पर दोहे – हरिओम शर्मा

    होली पर दोहे – होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। विकिपीडिया

    होली पर दोहे – हरिओम शर्मा

    holi
    holi

    मंगलमय हो आपको, होली का त्यौहार।
    द्वेष, बैर को छोड़कर , ख़ूब लुटाओ प्यार।।

    रंग अबीर गुलाल हैँ, गुजियाओं के संग ।
    पिचकारी है प्रेम की, ये फागुन के रंग ।।

    भल्ले टिक्की पापड़ी काजी है अनमोल ।
    ठंडाई मैं प्यार का ,रंग दिया है घोल ।।

    हिस्से पापड़ कुरकुरे, और वेसन के सेव ।
    ठंडाई है भांग की ,खुश होंगे महादेव।।

    व्हाट्स एप पर कर दिया, हमने तो ऐलान।
    कितना भी रंग डाल लो ,फ़ोटो है श्रीमान।।

    द्वेषभाव कटुता जलन ,ऊंच नीच को भूल ।
    प्रेम सहित स्वीकार लो ,ये फागुन के फूल।।

    नशा कीजिये प्यार का ,मिट जाये सब बैर ।
    सबको अपना कीजिये, रहे न कोई गैर ।।

    इंतजार मैं हम खड़े ,लेकर गुज़िया,रंग ।
    कृष्ण कन्हैया आइये, राधा जी के संग ।।

    ढोल नगाड़े बज रहे ,गाते रसिया फाग ,
    शर्वत गुजिया सज रहे,उमड़ रहा अनुराग ,

    सरसों सेमल ढाक के ,रंग बिरंगे फूल ,
    मस्त धूप हल्की हवा , मौसम है अनुकूल ,

    आम लदे है बौर से ,फ़ैली मस्त सुगंध ,
    प्रेमांकुर फूटन लगे ,टूटन लागे बंध,

    सजनी साजन खेलते, उड़े अबीर गुलाल ,
    हुआ हरा तन और मन ,गाल गुलाबी लाल ,

    द्वेष ईर्स्या,कपट छल ,जले होलिका संग ,
    सराबोर मन प्यार से ,ऐसा वरसे रंग ,

    हरिओम शर्मा

  • कर्म की राह पर – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    कर्म की राह पर – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कर्म की राह पर
    कर्म का आँचल पकड़
    पथ- प्रदर्शक बन
    ओरों को राहें दिखा

    कर्म की प्रधानता
    बनाती महान है
    सफलता की सीढियां
    चूमती चरण सभी के

    कर्म के महत्व को
    बखानते धर्म ग्रन्थ
    प्रफुल्लित कर मन को
    दिखाते नई राह हैं

    कर्महीन बन धरा पर
    अस्तित्व पर संकट न बन
    जीवन को बंधन मुक्त कर
    कर्म धरा पर उतर

    कर्म कर अर्जुन महान
    कर्म कर गाँधी महान
    कर्म कर अब्दुल महान
    कर्म कर महान बन

    पथ – प्रदर्शक बन सभी का
    कर्म का विधान बन
    कर्म की राह पर
    कर्म का आँचल पकड़

    पथ- प्रदर्शक बन
    ओरों को राहें दिखा