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  • भारत जमीन का टुकड़ा नहीं / अटल बिहारी वाजपेयी

    भारत जमीन का टुकड़ा नहीं / अटल बिहारी वाजपेयी

    भारत जमीन का टुकड़ा नहीं / अटल बिहारी वाजपेयी

    atal bihari bajpei
    अटल बिहारी वाजपेयी

    भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
    जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
    हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
    पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
    पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
    कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है।
    यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
    यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
    इसका कंकर-कंकर शंकर है,
    इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
    हम जियेंगे तो इसके लिये
    मरेंगे तो इसके लिये।

    भारत जमीन का टुकड़ा नहीं / अटल बिहारी वाजपेयी

  • आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी

    आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी

    आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी

    atal bihari bajpei
    अटल बिहारी वाजपेयी

    आओ फिर से दिया जलाएँ
    भरी दुपहरी में अँधियारा
    सूरज परछाई से हारा
    अंतरतम का नेह निचोड़ें-
    बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
    आओ फिर से दिया जलाएँ

    हम पड़ाव को समझे मंज़िल
    लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
    वर्त्तमान के मोहजाल में-
    आने वाला कल न भुलाएँ।
    आओ फिर से दिया जलाएँ।

    आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
    अपनों के विघ्नों ने घेरा
    अंतिम जय का वज़्र बनाने-
    नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
    आओ फिर से दिया जलाएँ

    आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी

  • मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी

    मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी

    मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी

    atal bihari bajpei
    अटल बिहारी वाजपेयी

    ठन गई!
    मौत से ठन गई!

    जूझने का मेरा इरादा न था,
    मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

    रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
    यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।

    मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
    ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

    मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
    लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

    तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
    सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।

    मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
    शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

    बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
    दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

    प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
    न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

    हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
    आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

    आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
    नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।

    पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
    देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।

    मौत से ठन गई।

    मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी

  • दूध में दरार पड़ गई / अटल बिहारी वाजपेयी

    दूध में दरार पड़ गई / अटल बिहारी वाजपेयी

    दूध में दरार पड़ गई / अटल बिहारी वाजपेयी

    atal bihari bajpei
    अटल बिहारी वाजपेयी

    ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?
    भेद में अभेद खो गया।
    बँट गये शहीद, गीत कट गए,
    कलेजे में कटार दड़ गई।
    दूध में दरार पड़ गई।

    खेतों में बारूदी गंध,
    टूट गये नानक के छंद
    सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।
    वसंत से बहार झड़ गई
    दूध में दरार पड़ गई।

    अपनी ही छाया से बैर,
    गले लगने लगे हैं ग़ैर,
    ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।
    बात बनाएँ, बिगड़ गई।
    दूध में दरार पड़ गई।

    दूध में दरार पड़ गई / अटल बिहारी वाजपेयी

  • कौरव कौन कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी

    कौरव कौन कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी

    कौरव कौन कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी

    atal bihari bajpei
    अटल बिहारी वाजपेयी

    कौरव कौन
    कौन पांडव,
    टेढ़ा सवाल है|
    दोनों ओर शकुनि
    का फैला
    कूटजाल है|
    धर्मराज ने छोड़ी नहीं
    जुए की लत है|
    हर पंचायत में
    पांचाली
    अपमानित है|
    बिना कृष्ण के
    आज
    महाभारत होना है,
    कोई राजा बने,
    रंक को तो रोना है|

    कौरव कौन, कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी