मैं हूं धरती

तुम हो आकाश,मैं हूं धरती नज़र उठा कर सभी ने देखा तुम्हेऔर हमेशा सेसभी ने रौंदा मुझे मिलना चाहा जब-जब तुमनेमिले तुम तब-तब मुझसे कभी बारिश बन करकभी आंधी बन करकभी चांदनीतो कभी धूप बन करमगर मैं रही वहीँ हमेशा…

सच बताना

सच बताना सच बतानाबातें न बनानान मुंह चिढ़ानाऔर हाँ!मुझे नहीं पसंद तुम्हारा गिडगिडाना कि मेरे मरने के बादतुम्हे मेरी सदा भी आएगीकौन सी बात तुम्हे रुलाएगी मुझे पता हैमेरे मरने के बाद भीमैं थोडा बनी रहूंगी जैसे रह जाती हैखंडहर…

सूरज देता रौशनी हर कर तम का भार

सूरज देता रौशनी  हर कर तम का भार सूरज देता रौशनी, हर कर तम का भार।लेकर के आगोश में, करता दिन विस्तार।। नभ में लाली छा गई, लेकर नव मुस्कान।जीव-जंतु जगने लगे, जगने लगा किसान।। उदर पूर्ति करने चले, छोड़े…

छंद की परिभाषा

छंद की परिभाषा छंद शब्द ‘चद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है ‘ आह्लादित ” , प्रसन्न होना।‘वर्णों या मात्राओं की नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं’।छंद का सर्वप्रथम उल्लेख ‘ऋग्वेद’…