मतदाता दिवस पर कविता
अच्छे नागरिक के कर्तव्य निभाए,
राष्टीय मतदाता दिवस मनाए।
मानव को जागरूक बनाए,
नव मतदाता के नाम जुड़वाए।
युवा पीढ़ी को आगे लाएं,
स्वतंत्र रूप से वोट कराए।
लोकतंत्र के पर्व मनाएं,
शत प्रतिशत मतदान कराए।
एक वोट भी रह न पाए,
आओ ये करके दिखाए।
जन जन को समझाए,
वोट का अधिकार दिलाए।
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रचनाकार-डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822
मतदाता जागरूकता कविता
वोट नहीं तुम बेचना,लेकर धन सामान।
मतदाता शिक्षित बनो,नेक कर्म मतदान।।
वोट डालने को मिला,जब से यह अधिकार।
गिरते हैं सब पाँव में,बदले जाति विचार।।
मूल्य वोट का एक है,निर्धन या धनवान।
समता इससे बन रही,तुल्य नहीं असमान।।
समझो अब ऐसा नहीं,निश्चित सबका काज।
महिला हो चाहे पुरुष,कर सकते सब राज।।
संविधान से सम हुए,जाति धर्म के लोग।
एक नहीं वो मानते,जिनको नफरत रोग।।
राजनीति को जानिए,इसमें ही उद्धार।
सत्ता सुख का स्रोत है,इसमें बल का सार।।
सत्ता जिसके पास है,डरते उनसे लोग।
आगे पीछे घूमते,करने सुख का भोग।।
सबको सम अधिकार है,समानता सम चाह।
स्वतंत्रता सार्थक तभी,चले न्याय की राह।।
राजनीति में आ रहें,आगे साहूकार।
सेठ संत सब राह में,करने धन भंडार।।
राजकिशोर धिरही
तिलई जाँजगीर छत्तीसगढ़