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  • धर्मांधता पर कविता

    धर्मांधता पर कविता

    जब भी
    बंटा है वतन
    तब-तब
    बंटवारे के लिए
    उत्तरदायी रही है
    धर्मांधता
    यह चलती है
    राजनीतिक इशारों पर
    जो आज भी है
    पूरे यौवन पर
    जाने और कितने
    टुकड़े करना चाहते हैं
    धर्मांध लोग
    इस वतन के
    नहीं लेते सबक
    ऐतिहासिक भूलों से
    और कर रहे हैं निर्माण
    अराजक वातावरण का

    -विनोद सिल्ला©

  • सरस्वती माँ पर कविता-बाबू लाल शर्मा बौहरा

    सरस्वती माँ पर कविता

    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami
    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami

    शारदे आप ही आओ।
    कंठ मेरे तुम्ही गाओ।
    शान बेटी सयानी के।
    बात किस्से गुमानी के।

    धाय पन्ना बनी माता।
    मान मेवाड है पाता।
    पद्मिनी की कहानी है।
    साहसी जो रुहानी है।

    बात झाँसी महारानी।
    शीश हाड़ी दिए मानी।
    वीर ले जा निशानी है।
    बात सारी सिखानी है।

    बेटियों को बचानी है।
    शान शिक्षा दिलानी है।
    कर्म कर्त्तव्य भी जानें।
    वक्त की माँग को मानें।

    शान मानें तिरंगा की।
    बेटियाँ, आन गंगा की।
    गीत गाओ सुनाओ तो।
    चंग साथी बजाओ तो।

    देश के गीत गाने हैं।
    भारती के तराने हैं।
    भाव सद्भाव वे सच्चे।
    पालने प्रेम से बच्चे।

    सैनिकों के हितैषी हों।
    बेटियाँ मान पोषी हो।
    नागरी मान हिंदी का।
    भारती भाल बिंदी का।

    हिंद के गीत गाऐं जो।
    शत्रु के शीश लाऐं जो।
    वीर जन्में शिवा जैसे।
    पूत पालें सुता ऐसे।

    छंद गाएँ जवानों के।
    अन्नदाता किसानों के।
    बेटियों वीरता गाओ।
    राष्ट्र में धीरता लाओ।

    देश की शान बेटी हो।
    राष्ट्र का मान बेटी हो।
    सृष्टि का सार बेटी हो।
    ईश आभार बेटी हो।

    • बाबू लाल शर्मा, बौहरा
      सिकंदरा ३०३३२६
      दौसा राजस्थान,9782924479
  • मतदाता दिवस पर कविता

    मतदाता दिवस पर कविता

    अच्छे नागरिक के कर्तव्य निभाए,
    राष्टीय मतदाता दिवस मनाए।
    मानव को जागरूक बनाए,
    नव मतदाता के नाम जुड़वाए।

    युवा पीढ़ी को आगे लाएं,
    स्वतंत्र रूप से वोट कराए।
    लोकतंत्र के पर्व मनाएं,
    शत प्रतिशत मतदान कराए।

    एक वोट भी रह न पाए,
    आओ ये करके दिखाए।
    जन जन को समझाए,
    वोट का अधिकार दिलाए।
    ~~~~~~~~~~~~~~~~
    रचनाकार-डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
    पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
    मो. ‌8120587822

    मतदाता जागरूकता कविता

    वोट नहीं तुम बेचना,लेकर धन सामान।
    मतदाता शिक्षित बनो,नेक कर्म मतदान।।

    वोट डालने को मिला,जब से यह अधिकार।
    गिरते हैं सब पाँव में,बदले जाति विचार।।

    मूल्य वोट का एक है,निर्धन या धनवान।
    समता इससे बन रही,तुल्य नहीं असमान।।

    समझो अब ऐसा नहीं,निश्चित सबका काज।
    महिला हो चाहे पुरुष,कर सकते सब राज।।

    संविधान से सम हुए,जाति धर्म के लोग।
    एक नहीं वो मानते,जिनको नफरत रोग।।

    राजनीति को जानिए,इसमें ही उद्धार।
    सत्ता सुख का स्रोत है,इसमें बल का सार।।

    सत्ता जिसके पास है,डरते उनसे लोग।
    आगे पीछे घूमते,करने सुख का भोग।।

    सबको सम अधिकार है,समानता सम चाह।
    स्वतंत्रता सार्थक तभी,चले न्याय की राह।।

    राजनीति में आ रहें,आगे साहूकार।
    सेठ संत सब राह में,करने धन भंडार।।

    राजकिशोर धिरही
    तिलई जाँजगीर छत्तीसगढ़

  • बेटी पर कविता

    बेटी पर कविता

    गुड़िया पर बाल कविता
    गुड़िया पर बाल कविता

    कितनी मन्नते माँगते माता पिता,
    जा जाकर हर मंदिर के द्वार में।
    करते हैं संतान कि कामना हरदम,
    खुशीयाँ कब आये झोली में।

    ढ़ोल नगाड़े बजते उस घर,
    प्यारी गुड़ियाँ के आने में।
    देते बधाई सब चाहने वालें,
    खुशियाँ बरसे जिस आँगन में।

    जब रोती नन्ही बेटी तो,
    माँ विचलित हो जाती हैं।
    वैद्य हकीम के पास जाकर,
    अपभ्रंश दूर भगाती हैं।

    प्रतीक्षा करती बड़ी होने की,
    शाला भेजे देकर संस्कार।
    कर्म सतत करती हैं बेटी,
    कर्म क्षेत्र के बढ़े आकार।

    गर्व है उन सभी बेटियों पर,
    जो माँ बाप का नाम रोशन करें।
    नित नित आगे बढ़े हरदम,
    फूल सी बगिया निज आँगन करें।
    ~~~~~~~~~~~~~~

  • स्वच्छता पर कविता

    स्वच्छता पर कविता

    पृथ्वी की सबसे बड़ी आवश्यकता,
    हो कण- कण में स्वच्छता।

    चलता, तैरता, उड़ता जहर ,
    मानव हो जागरूक ..नहीं तो बरसेगा कहर।

    दूषित जल, थल ,वायु, कचरा-
    कूड़ा, प्लास्टिक की चौफेरे
    भरमार, भूल रहा हैं सब अपना कर्तव्य वयवहार।

    शुचि क्रियाएं स्वास्थ्य का है जीवन आधार,
    वरना महामारी, गंदगी प्रदुषण बनेगा अकाल मृत्यु का जिम्मेदार।

    आओ करें एकल निश्चय,
    गंदगी को हटाना है,
    घर-घर संदेश पहुँचाना है,
    भारत स्वस्थ राष्ट्र बनाना है।

    विश्व में स्वच्छ भारत कह लाना है।।।

    ✍©
    अरुणा डोगरा शर्मा,
    मोहाली।