Blog

  • गांव पर दोहे

    गांव पर दोहे

    गांव पर दोहे

    शहर नगर में विष घुले, करे जोर की शोर।
    शुद्ध हवा बहने लगी, चलो गांव की ओर।।१।।

    गांव पर दोहे

    तेज गमन की होड़ में, उड़े बड़े ही धूल।
    मुक्त रहो इस खेल से, बात नही तुम भूल।।२।।

    शांत छांव में मन मिले, कष्ट मिटे अति दूर।
    हरा भरा तरु देखना, घूमें गांव जरूर।।३।।

    धान फसल की बालियां, लगते कनक समान।
    अन्न उगाकर बांटते, देव स्वरूप किसान।।४।।

    गाय पहट पंछी उड़े, कई देख लो चाल।
    कमल खिले जब रवि उगे, नदी और है ताल।।५।।

    नीर भरे सब नारियां, नाचे वन में मोर।
    आम डाल कोयल कुके, चलो गांव की ओर।।६।।

    स्वरचित – तेरस कैवर्त्य’आंसू’
    सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
    जिला – बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़)
    संपर्क सूत्र 9165720460
    Email: [email protected]

  • गुण की पहचान पर कविता

    गुण की पहचान पर कविता

    वन में दो पक्षी, दिख रहे थे एक समान।
    कौन हंस है कौन बगुला, कौन करे पहचान।

    बगुला बड़ा था घमंडी, कहता मेरे गुण महान।
    तेज उड़ सकता हूं तुझसे, कह रहा था सीना तान।

    झगड़ा सुनकर कौवा आया, श्रेष्ठता के लिए करो उड़ान।
    नम्र भाव से होकर हंस तैयार, उड़ चला दूर आसमान।

    थक गया जब बगुला, बदली अपनी टेढ़ी चाल।
    नाटक किया कमजोरी का, पहना था वह शेर की खाल।

    दोनों पहुंचे मोर के पास, लेकर न्याय की आस।
    गजब तरीका सुझाया उसने, पता चलेगा उनकी खास।

    मंगवाया पानी मिला दूध मोर ने, रख दी सामने दो कटोरी।
    बगुला पी गया पूरा दूध-पानी, हंस दूध पीकर पानी को छोड़ी।

    शर्मिंदा हुआ बगुला, माफी मांग किया नमस्कार।
    हो गया पहचान सत्य की, सदा होती है जय जय कार।

    मोबाइल नंबर 9977234838

  • सफलता पर कविता

    सफलता पर कविता

    मन मे जोश उमंग भर लो,
    तुम्हे नया आकाश मिलेगा,
    आसमान को जरूर छू लो गे,
    रखो तुम मन मे विश्वास।
    ख्वाहिश को खामोश रखो,
    सफलता की ओर आगे बढ़ो,
    अहंकार कभी ना करना,
    मेहनत तुम करते जाओ।
    हार-जीत के बारे मे सोचो ना,
    कठिन राह से कभी डरो ना,
    सफलता प्राप्त करोगे तुम,
    कठिन राह से डरना नही।
    कड़ी चुनौती हर मोड़ पर,
    सामना तो करना होगा,
    संघर्षों के कुरूक्षेत्र मे,
    अर्जुन बनकर छाना होगा।
    जब तेरे साथ कोई ना हो,
    ईश्वर पे तु विश्वास रख,
    सफल होना कुछ दूर नही,
    वो सफलता है कोई नूर नही,
    तु कर प्रयत्न करते जा,
    लगेंगे उसमे दो-चार दिन।
    मन मे जोश उमंग भर लो,
    तुम्हे नया आकाश मिलेगा।।
    ✍?✍?
    *परमानंद निषाद*

  • वीर जवान पर कविता

    वीर जवान पर कविता

    वीर जवान पर कविता

    वीर जवान पर कविता

    मान करे,सम्मान करे,
    वीर जवान का गुणगान करे,
    देश की सीमा मे रक्षा करते,
    हम सब मिलकर सम्मान करे।

    कश्मीर की सीमा मे तैनात है,
    हमारे वीर जवान,
    दुश्मनों की वार को,
    गोली से जवाब देते है।

    हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
    सभी है भाई-भाई,
    देश के जवान भाषा बोले,
    सीमा पर बंदूक की गोली से।

    पहरेदारी करते दिन-रात,
    सीमा पर खड़े वीर जवान,
    देश के जवान भाषा बोले,
    वंदे मातरम्…जय हिन्द बोले।

    पुलवामा सर्जिकल स्ट्राइक से,
    हमारे कई जवान शहीद हुए,
    पाकिस्तान मे बंधक बने,
    वीर जवान अभिनंदन सिंह।

    विजय होकर जब भारत लौटे,
    अभिनंदन का गुणगान हुआ,
    गणतंत्र दिवस सभी मनाते,
    सब मिलकर गान करे।

    बच्चों को सब जवान बनाओ,
    वीर जवान का गुणगान सुनाओ,
    हिन्दुस्तानी सब भाई-भाई,
    किसी से भेदभाव करते नही।

    गणतंत्र दिवस सभी मनाते,
    भारत का गुणगान करते है,
    भारत की सुरक्षा बढ़ाओ,
    सरकार से निवेदन करते है।।
    ✍?✍?
    *परमानंद निषाद निठोरा,छत्तीसगढ*

  • निषादराज के दोहे

    *निषादराज के दोहे*

    (1) *दामिनी*
    देखा जबसे दामिनी,चकाचौंध अब नैन।
    होश हुआ मदहोश अब,ढलने को अब रैन।।

    (2) *व्योम*
    व्योम हुआ गहरा बहुत,बादल छाये आज।
    नहीं मिला अब चैन भी,नहीं हुआ कुछ काम।।

    (3) *पुलकित*
    माँ का आशीष है मिला,जीवन में उल्लास।
    पुलकित मेरा तन हुआ,हुआ मुझे विश्वास।।

    (4) *द्रवित*
    नैन द्रवित मेरा हुआ,खुशियाँ मिले हजार।
    मन मेरा शीतल हुआ, पा कर अपना प्यार।।

    (5) *संकट*
    संकट मोचन नाम है,महाबली हनुमान।
    लाल कहाए अंजनी,रघुवर के हित जान।।

    (6) *आशीष*
    माँ की ममता से बड़ा,माँ का है आशीष।
    इन्हें नमन करता रहूँ,मान इन्हें जगदीश।।

    (7) *उपकृत*
    उपकृत हूँ माँ आपकी,मैं तेरा संतान।
    जीवन तूने है दिया,करूँ सदा गुणगान।।

    (8) *साक्ष्य*
    सत्य मार्ग पर चल पड़ो,साक्ष्य यहाँ भगवान।
    वो ही अपना मान है,और वही ईमान।।

    (9) *पुष्ट*
    हृष्ट-पुष्ट तन को रखो,कर के नित तुम योग।
    मन भी चंचल होय जब,काया होय निरोग।।

    (10) *निर्णय*
    निर्णय करना आप ही,करना जो हो काम।
    तभी सफलता हैं मिले,मिले मान औ नाम।।

    बोधन राम निषादराज”विनायक”
    सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)