अनेकता में एकता कविता
(1)
हमे वतन से प्यार है ,भारत देश महान।
अनेकता में एकता , इसकी है पहचान।।
इसकी है पहचान , ये है रंग रंगीला।
मिल जाते सबरंग , गुलाबी नीला पीला।।
कहे नवलनवनीत ,महिमा बड़ीअपार है।
संस्कृतिहै प्राचीन ,हमको इससे प्यार है।।
(2)
नाना संस्कृतियां यहाँ,विविध धर्म के लोग।
मिलजुलकर रहते सभी,नदी नाव संजोग।।
नदी नाव संजोग , विविध है भाषा भाषी।
जाति पाति हैं भिन्न,सभी है हिन्द निवासी।।
कहे नवल कविराय , नही कोई बेगाना।
संस्कृतियों के रंग , खिले बिखरे है नाना।
(3)
ईद दीवाली क्रिसमस,मिलकर सभी मनाय।
वसुधा ही परिवार है , दिल मे सभी बसाय।।
दिल मे सभी बसाय, ना ही कोई पराया।
मातृभूमि का प्यार,दिलों मे सबके समाया।।
सभी वर्ण संयोग , भारती मात निराली।
सभी हिन्द में रोज , मनाते ईद दिवाली।।
(4)
कहींनिर्गुण कहींसगुण,आस्तिक नास्तिक भेद।
सभी मानते एक को , मिट जाय सब द्वैध।।
मिट जाय सब द्वैध ,भेद सारे हट जाए।
दृष्टिगत अनेकत्त्व , अखंड भाव आ जाए।।
कहत नवल कविराय , है ऐसी भारत मही।
अनेकत्त्व में एक , नही ऐसा ओर कहीं।।
©डॉ एन के सेठी
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद