बहुरूपिया
बहुरूपिया बकरी बनकर आया,मेमने को लगाकर सीने से,प्यार किया,दुलार किया!दूसरे ही क्षण–भक्षण कर मेमने का,तृप्त हो डकारा,बहुरूपिये भेड़िये ने फिर,अपना मुखौटा उतारा!!—-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’अम्बिकापुर,सरगुजा(छ. ग.) Post Views: 19
बहुरूपिया बकरी बनकर आया,मेमने को लगाकर सीने से,प्यार किया,दुलार किया!दूसरे ही क्षण–भक्षण कर मेमने का,तृप्त हो डकारा,बहुरूपिये भेड़िये ने फिर,अपना मुखौटा उतारा!!—-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’अम्बिकापुर,सरगुजा(छ. ग.) Post Views: 19
काली कोयल कोयल सुन्दर काली -काली,हरियाले बागों की मतवाली।कुहू-कूहू करती डाली-डाली,आमों के बागों मिसरी घोली। ‘चिड़ियों की रानी’ कहलाती,पंचमसुर में तुम राग सुनाती।हर मानव के कानों को भाती,मीठी बोली से मिठास भरती। मौसम बसंत बहुत सुहाना,काली कोयल गाती तराना।रूप तुम्हारा प्यारा सयाना,जंगलवासी का मन हरना। कोकिला, कोयल, वनप्रिया,बसंतदूत,सारिका नाम पाया।पेड़ों के पत्तों में छिप जाया,मीठी … Read more
भावना तू कौन है ? क्रोध लोभ हास मेरात में प्रकाश मेंराग और द्वेष मेंप्रीत नेह क्लेश मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है? भय अभय चित्त मेंहार में व जीत मेंभूख और प्यास मेंदूर हो या पास मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है ? अश्रु जब पड़े ढुलककांपने लगे अधरतू बड़ी उदास सीमन … Read more
अपनापन पर कविता अपनापन ये शब्द जहां काहोता सबसे अनमोलप्यार नेह से मिल जातासंग जब हों मीठे बोल। अपनापन यदि जीवन में होहर लम्हा रंगे बहारअपने ही गैर बन जाएं तोग़म का दरिया है संसार। अपनेपन की अभिलाषी थीमैं अपनों की भीड़ मेंसमझ न पाया मर्म मेरा कोईबह गई मैं इस पीर में। अपनों ने … Read more
मातृभूमि पर कविता मातृभूमि के लिये नित्य ही,अभय हो जीवन दे दूंगा ।तन ,मन , धन निस्वार्थ भाव,सर्वस्व समर्पित कर दूंगा। जिस मातृभूमि में जन्म लिया है,जिसके अंक नित खेल हूँ।शिवा जी दधीचि की मिट्टी कामत भूलो मैं चेला हूँ। जहाँ आदिकाल से वीरों नेगिन- गिन कर शीश चढा़ये है।वीर शिवाजी, महाराणा ने,जीवन दांव पर … Read more