manibhai Navratna

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न के कविता

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न के कविता एक अजब खिलखिल है जान अकेली है।मौत सहेली है।काँपती देहहवा बर्फीली है । चादर आसरा हैदहक सहारा है।दंत की किटकिटसर्द की नारा है। तन में ठिठुरन है ।मन में जकड़न है ।जग धुंधला…

जा लिख दे

जा लिख दे “साधु-साधु!”लेखनी लिखे कुछ विशेषदें आशीषमैं भी कुछ ऐसा लिख जाऊँजो रहे संचित युगों-युगोंचिरस्थायी,शाश्वत–’जा लिख दे अपना वतन’जो सृष्टि संग व्युत्पन्नआश्रयस्थल प्रबुद्धजनों का,शूरवीरों काप्रथम ज्ञातारहेगा समष्टि के अंत बाद भी। –’जा लिख दे उस माँ का वर्णन’जो जाग-जाग…

बहुरूपिया

बहुरूपिया बकरी बनकर आया,मेमने को लगाकर सीने से,प्यार किया,दुलार किया!दूसरे ही क्षण–भक्षण कर मेमने का,तृप्त हो डकारा,बहुरूपिये भेड़िये ने फिर,अपना मुखौटा उतारा!!—-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’अम्बिकापुर,सरगुजा(छ. ग.) Post Views: 45

काली कोयल

काली कोयल कोयल सुन्दर काली -काली,हरियाले बागों की मतवाली।कुहू-कूहू करती डाली-डाली,आमों के बागों मिसरी घोली। ‘चिड़ियों की रानी’ कहलाती,पंचमसुर में तुम राग सुनाती।हर मानव के कानों को भाती,मीठी बोली से मिठास भरती। मौसम बसंत बहुत सुहाना,काली कोयल गाती तराना।रूप तुम्हारा…

भावना तू कौन है ?

भावना तू कौन है ? क्रोध लोभ हास मेरात में प्रकाश मेंराग और द्वेष मेंप्रीत नेह क्लेश मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है? भय अभय चित्त मेंहार में व जीत मेंभूख और प्यास मेंदूर हो या पास मेंदेखता हूँ…