ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो
गीतकार: मनीभाई नवरत्न
बैंइला के सींग म, बैईला के खूर म तेल लगाबो ।
फेर वोला नवा झालर ओढ़ाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।
भोला के बैइला के बंदन करले ।
जाता म चूल्हा म चंदन रंग ले ।
ओमा ठेठरी खुरमी के भोग लगा ले ।
चलव संगवारी बैइला ल भात खवाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।
बाबू बर माटी के, नंदिया बनगे ।
ओमे घुनघुन बाजा, मोर मन भरगे ।
गाड़ी के चार चक्का बैईला तनगे।
चलव कमची म बांध के गाड़ी कुदाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।
नीनी बर माटी के चुकिया बनगे ।
ओमे के दीया मानो चुल्हा जलगे।
ऐदे ठगी मंझी के दार भात चुरगे ।
बेटी तोर खुशी बर ओला हामन खाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।
गीतकार: मनीभाई नवरत्न