ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो

ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो

गीतकार: मनीभाई नवरत्न

बैंइला के सींग म, बैईला के खूर म तेल लगाबो ।
फेर वोला नवा झालर ओढ़ाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।

भोला के बैइला के बंदन करले ।
जाता म चूल्हा म चंदन रंग ले ।
ओमा ठेठरी खुरमी के भोग लगा ले ।
चलव संगवारी बैइला ल भात खवाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।

बाबू बर माटी के, नंदिया बनगे ।
ओमे घुनघुन बाजा, मोर मन भरगे ।
गाड़ी के चार चक्का बैईला तनगे।
चलव कमची म बांध के गाड़ी कुदाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।

नीनी बर माटी के चुकिया बनगे ।
ओमे के दीया मानो चुल्हा जलगे।
ऐदे ठगी मंझी के दार भात चुरगे ।
बेटी तोर खुशी बर ओला हामन खाबो ।
ऐसो के भादों अंधियारी म पोला मनाबो।

गीतकार: मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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