प्रात: नमन माता को करना (चौपाई)-बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

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माँ पर कविता

प्रात: नमन माता को करना (चौपाई)-बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

चौपाई
विधान:- सम मात्रिक छंद, १६,मात्रा, मापनी मुक्त
चार चरण की एक चौपाई

प्रात: नमन माता को करना।
धरती गौ माँ सम आचरना।।
माँ धरती सम धरती माँ सम।
मन से वंदन करलें हरदम।।१

गौ माता है मात सरीखी।
बचपन से ही हमने सीखी।
माँ गंगा है पतितापावन।
यमुना सबको हृदयाभावन।।२

शारद माता विद्या देती।
तम अज्ञान सभी हर लेती।।
पाँचो पूज्या जैसे माई।
प्रातः लिखी पाँच चौपाई।।३

प्रथम गुरू कहलाती माता।
ईश्वर तुल्य जन्म नर पाता।।
माँ है त्याग क्षमा की मूरत।
देखी प्रथम उसी की सूरत।।४

माँ तक ही खुशियों का मेला।
माँ जाए मन हुआ अकेला।।
माँ की महिमागान असंभव।
करले सेवा तो सब संभव।।५
. —
बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

This Post Has One Comment

  1. Basudeo Agarwal 'Naman'

    सुंदर चौपाइयाँ

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