Raksha Panchami's company (Poem on brother-sister relationship)

रक्षा पंचमी का संग ( भाई-बहन के रिश्ते पर कविता )

रक्षा पंचमी एक विशेष हिन्दू त्योहार है जो भैया दूज के समय आता है और इसे विशेष रूप से भाई-बहन के रिश्ते की रक्षा और सुरक्षा के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है जो भाई-बहन के रिश्ते की रक्षा और स्नेह को दर्शाती है:

रक्षा पंचमी का संग ( भाई-बहन के रिश्ते पर कविता )

रक्षा पंचमी का संग

रक्षा पंचमी की सुबह आई,
खुशियों की बधाई लायी,
भाई-बहन के रिश्ते की मीठी धुन,
स्नेह और सुरक्षा की यह शुभ घड़ी सुन।

राखी की डोरी, प्रेम की चादर,
बंधे रिश्ते से हर मन को जोड़े,
बहन की रक्षा का संकल्प लेकर,
भाई ने कसम खाई हर कदम पर सहेज कर।

सजती राखी, रंग-बिरंगी थालियाँ,
भाई की कलाई पर सजी राखी की मालाएँ,
हर धागे में बसी बहन की दुआ,
सुरक्षा का संदेश, हर दिल को छूआ।

भाई की सुरक्षा का वचन निभाए,
हर कठिनाई में सदा साथ निभाए,
स्नेह की धारा से रिश्ते को सींचे,
हर क्षण में भाई-बहन का साथ मिले।

साल भर की खुशियों का आँगन,
रक्षा पंचमी पर सजता रंगीन बगन,
भाई-बहन का ये प्यार अमूल्य,
सुरक्षा की डोरी से है यह बंधन संजीवनी।

आओ मिलकर मनाएं हम यह पर्व,
स्नेह और विश्वास से भरपूर,
रक्षा पंचमी की ख़ुशियों में,
भाई-बहन के रिश्ते की हो अमिट छाप।

हर दिल में बसी हो रक्षा की भावना,
हर रिश्ते को सहेज कर रखें ये भावना,
रक्षा पंचमी का ये पर्व हो विशेष,
भाई-बहन का प्यार हो अक्षुण्ण और नेक।


यह कविता रक्षा पंचमी के दिन भाई-बहन के रिश्ते की सुरक्षा, स्नेह और सम्मान को उजागर करती है। यह पर्व रिश्ते को मज़बूती प्रदान करने और एक-दूसरे के प्रति प्यार और देखभाल बढ़ाने का एक अवसर है।