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आई है बिटिया ,आई है बहना अपने घर आंगन।
भाई के कलाई में बांधने को, प्यार से रक्षाबंधन।
गूंजने लगी खुशियाँ, चहुंदिक् अति मनभावन ।
रिमझिम ठण्डी फुहारों में भिगाेती अंतिम सावन।
बहना आरती थाल लिये, देती भाई को बधाईयां।
माथे तिलक लगा ,रक्षासूत्र से सजाती कलाईयां।
भाई भी उपहारस्वरूप,हाथ बढ़ा के दे यह वचन।
मेरे रहते कष्ट ना होगी, तेरे सपने पूरे करूँ बहन।।
भाई-बहन के पवित्र प्यार का, है रक्षाबंधन त्यौहार।
रंग बिरंगी राखियों से, सजने लगा है सारा संसार।।
वस्तुतः सबकी धरती माँ , सब प्राणी है भाई बहना।
आओ एक दूजे की रक्षा कर, बने धरा की गहना।।
मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़
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