शाकाहार पर नारे
प्रकृति का ये उपहार।
जीओ और जीने दो बने साकार।
साग सब्जी अपना हथियार।
उत्तम स्वास्थ्य लाएँ अपने द्वार।
मांस का करें तिरस्कार।
ना बने पाप के भागीदार।
दूर करे तन मन के विकार।
अपना कर भोजन शाकाहार।
आज धरा की है पुकार।
शाकाहार ही हो भोजन का आधार।
आओ सब मिलकर भरे हुंकार।
बंद हो मांसाहार का व्यापार।
जीने का दे सभी को अधिकार।
शाकाहार सर्वोत्तम आहार।।
रचनाकार
विजय पाटने
374,Aarambh
Silver Starcity
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9826065177