शारदा-वंदन :मात नमन हम करें सदा ही
मात नमन हम करें सदा ही,
हमें बौद्धिक दान दो।
पढ़ लिख सीखें तमस मिटाएँ,
ज्ञान का वरदान दो।
अज्ञानता को दूर कर माँ,
ज्ञान का पथ भान दो।
पित,मात,गुरु सेवा करूँ माँ ,
भाव संगत मान दो।
मात शारदे वंदन गाता,
चरण कमल पखारता।
तरनी तार मोरि तो माता,
दूर कर अज्ञानता।
नवल प्रकाश ज्ञान का भर दे,
पथ नहीं पहचानता।
मै नादान अभी भी माता,
वंदन पद न जानता।
स्वर संगीत नहीं कुछ जाने,
संग गीत सुनावनी।
कृपा तुम्हारी मातु हमारी,
तरनि पार लगावनी।
राह कठिन यह, पथ मयकंटक,
मातु पंथ सँवारनी।
जीवन मेरा तुझे समर्पित,
कर कमल अपनावनी।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा ‘विज्ञ’
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान
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