सहज योग तुम कर लेना / राजेश पाण्डेय *अब्र*

इस कविता में कवि राजेश पाण्डेय ‘अब्र’ सहज योग को अपनाने और उसके लाभों के बारे में बता रहे हैं। सहज योग एक ऐसी साधना है जो सरलता से की जा सकती है और इसके माध्यम से व्यक्ति आत्मज्ञान और शांति की प्राप्ति कर सकता है। यह योग व्यक्तिगत विकास, मानसिक शांति, और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को पहचानने का एक मार्ग है।

सहज योग तुम कर लेना / राजेश पाण्डेय *अब्र*

तम की एक अरूप शिला पर
तुमको कुछ गढ़ते जाना है
भाग्य नहीं अब कर्म से अपने
राह में कुछ मढ़ते जाना है,

चरण चूमते जाएँगे सब
तुम कर्म की राह पकड़ लेना
भाग्य प्रबल होता है अक्सर
इस बात को तुम झुठला देना,

संकट काट मिटाकर पीड़ा
लक्ष्य विजय तुम कर लेना
भाग्य नहीं वीरों की कुंजी
सबल कदम तुम धर लेना,

दर्प से क्या हासिल होता है
सहज योग तुम कर लेना
सुस्त नहीं अब पड़ो पहरुए
कर्म सफल तुम कर लेना.

राजेश पाण्डेय अब्र
   अम्बिकापुर

सहज योग का अभ्यास करना एक ऐसी साधना है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। राजेश पाण्डेय ‘अब्र’ ने इस कविता में सहज योग के माध्यम से आत्मज्ञान और शांति की प्राप्ति का संदेश दिया है और इसे अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *