श्रृंखलाएँ – रामनाथ साहू ननकी

हे काव्य कामिनी ,
तुम ही मेरी ताकत हो ।
नूर इलाही दावत हो ।।
अल्लाह खुशी सरगम सी
सुब्हो शाम इबादत हो ।।
हे चित्त स्वामिनी ,
छंद प्रीत की पदावली ।
सदा सुगंधित एक कली ।।
कमलिनी गंध स्वर्गिक सुख ,
प्रेमिल नयी भावाँजली ।।
हे भव्य भामिनी ,
हर अंक पृष्ठ पर होते ।
प्रणयी उर्वरता बोते ।।
अंतः प्रेरित मति मंथन ,
प्रेमालिंगन के गोते ।।
हे दिवा यामिनी ,
हो सदैव त्रिकुट उपस्थित ।
अनुकूलित शुभे व्यवस्थित ।।
प्रगटित सभी श्रृंखलाएँ ।
कवि मन सृज प्रिय अभ्यर्थित ।।
रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह ( छ. ग. )