प्रस्तुत संध्या-वन्दन राजेश पाण्डेय वत्स छत्तीसगढ़ द्वारा रचित है.
शुभ संध्या नभ तले (संध्या-वन्दन)
दिन रात संधिकाल, शुभ लग्न संध्या हाल,
तारागण झाँक पड़े,
पल सुखदाई में!
नीड़ दिशा उड़ी दल,विहगों की कोलाहल,
तिमिर को न्यौता मिला,
सुर शहनाई में!
लाडली सुन्दरी शाम, पल भर मेहमान,
विमल आकाश खेली,
मृदु शीतलाई में!
शुभ संध्या नभ तले,पग घर ओर चले
वत्स वही फिर रट,
प्रीत रघुराई में!
-राजेश पाण्डेय वत्स छग
बहुत सुंदर रचना