आलसी पर कविता

आलसी पर कविता


मेरे अकेले में भी कोई आसपास होता है।
तुम नहीं हो पर तुम्हारा आभास  होता है।1।

बिखर ही जाता है चाहे कितना भी संवारो
बस खेलते  रहो जीवन एक ताश होता है।2।

जरूरतमंद तो आ ही जाते हैं बिना बुलाए
आपकी जरूरत में आए वही ख़ास होता है।3।

दिनभर भीड़ में शामिल होने के बाद रोज
मन मेरा हर शाम  जाने क्यूँ उदास होता है।4।

जागो उट्ठो और नए जीवन का आगाज़ करो
वरना सोया हुआ शख़्स महज़ लाश होता है।5।

— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479

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