ग़ज़ल – रात भर बैठ कर

ग़ज़ल - रात भर बैठ कर घात काटी गई रात भर बैठ कर ।याद काटी गई रात भर बैठ कर ।। इश्क पर बंदिशें साल दर साल की। म्यांद काटी गई…

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