कारगिल विजय दिवस पर कविता (16 दिसम्बर)
आज सिंधु में ज्वार उठा है आज सिंधु में ज्वार उठा है, नगपति फिर ललकार उठा है, कुरुक्षेत्र के कण-कण से फिर, पांचजन्य हुंकार उठा है। शत-शत आघातों को सहकर, जीवित हिंदुस्तान हमारा, जग के मस्तक पर रोली-सा, शोभित हिंदुस्तान हमारा । दुनिया का इतिहास पूछता, रोम कहाँ, यूनान कहाँ है ? घर-घर में शुभ … Read more