चांदनी रात / क्रान्ति
चांदनी रात / क्रान्ति द्वारा रचित चांदनी रात / क्रान्ति चांदनी रात मेंपिया की याद सताएमिलने की चाहदिल में दर्द जगाए।। हवा की तेज लहरजिगर में घोले जहरकैसे बताऊं मैं तुम्हेंसोई नहीं मैं रातभर।। दिल के झरोखे मेंदस्तक देती हवाएंदेखकर हंसे मुझपरदिल के पीर बढ़ाए।। दिल पर रख के पत्थरदर्द अपना छुपाया हैकैसे बताऊं तुझको … Read more